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विश्वनाथ कारिडोर के स्वावलंबन का खाका खींचेगी लंदन की कंपनी, कागजी औपचारिकता पूरी होते ही शुरू हो जाएगा डाक्यूमेंटेशन

वाराणसी बाबा विश्‍वनाथ दरबार से गंगा तट तक बनाए जा रहे कारिडोर के स्वावलंबन का खाका लंदन की कंपनी अर्नस्ट एंड यंग खींचेगी। श्रीकाशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद व मल्टीनेशनल कंसलटेंसी कंपनी के बीच डील फाइनल हो गई है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 05:30 AM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 02:16 PM (IST)
विश्वनाथ कारिडोर के स्वावलंबन का खाका खींचेगी लंदन की कंपनी, कागजी औपचारिकता पूरी होते ही शुरू हो जाएगा डाक्यूमेंटेशन
बाबा दरबार से गंगा तक बनाए जा रहे कारिडोर के स्वावलंबन का खाका लंदन की कंपनी अर्नस्ट एंड यंग खींचेगी।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। बाबा दरबार से गंगा तट तक बनाए जा रहे कारिडोर के स्वावलंबन का खाका लंदन की कंपनी अर्नस्ट एंड यंग खींचेगी। श्रीकाशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद व मल्टीनेशनल कंसलटेंसी कंपनी के बीच डील फाइनल हो गई है। अब सिर्फ अनुमोदन की औपचारिकता पूरी होनी है। इसके साथ ही कंपनी कारिडोर की संपत्ति और दायरे का डाक्यूूमेंटेशन समेत संचालन की प्रक्रिया व प्रविधि पर मंथन शुरू कर देगी।

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कंसलटेंट चयन के लिए काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद की ओर से अगस्त से लेकर अब तक चार बार ग्लोबल टेंडर किया गया। इसमें अंतिम बार में सिर्फ अर्नस्ट एंड यंग ही सामने आई। ऐसे में इस एकल कंपनी की साख को देखते हुए उसे आमंत्रित किया गया और 12 अक्टूबर को प्रस्तुतिकरण देखा गया। इसमें संतुष्ट होने के बाद बोर्ड ने कार्य देने का निर्णय ले लिया गया। मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने बताया कि कंसलटेंट के तौर पर अर्नस्ट एंड यंग को काम दिया जा रहा है।

दरअसल, कारिडोर के निर्माण पर लगभग साढ़े सात सौ करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैैं। मंदिर से लेकर गंगा तट तक 53 हजार वर्ग मीटर के इस विशाल प्रोजेक्ट के रखरखाव पर भी बड़ा खर्च होने का अनुमान है। इससे बचने के लिए तय किया गया कि कारिडोर को इस तरह स्वावलंबी बना दिया जाए कि आगे इसके लिए कोई बजट देने की जरूरत न हो। इसका रास्ता चुनने के लिए कंसलटेंट चयन की कवायद की गई। अब कंपनी तय करेगी कि इसमें बनाए गए भवनों-दुकानों को लीज पर या किराये पर दिया जाए। इसके अलावा बाद में किसी तरह के किसी विवाद से बचने के लिए परियोजना के तहत निर्माणाधीन भवनों की पैमाइश करा कर मानचित्र व अभिलेख तैयार कराया जाएगा। राजस्व विभाग से इनकी पुष्टि कराकर अभिलेखीकरण कराया जाएगा। इसमें श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की ओर से खरीदे गए भवनों का अलग अभिलेख होगा।


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