Surya Grahan 2020 : कोरोना संकट के चलते वाराणसी में गंगा स्नान पर प्रतिबंध, घर में स्नान-विधान
Surya Grahan 2020 साल का पहला सूर्य ग्रहण (आषाढ़ अमावस्या) शुरू हो गया है। खंड ग्रास सूर्य ग्रहण का स्पर्श सुबह 10.30 बजे हुआ।
वाराणसी, जेएनएन। Surya Grahan 2020 साल का पहला सूर्य ग्रहण (आषाढ़ अमावस्या) 21 जून को लगा। खंड ग्रास सूर्य ग्रहण का स्पर्श सुबह 10.30 बजे हुआ। वहीं मध्य काल दोपहर 12.18 बजे था। इसके अलावा मोक्ष 2.04 बजे हुआ। सूर्य ग्रहण में 12 घंटे पूर्व अर्थात 20 जून की रात 10.30 बजे से सूतक काल शुरू हो गया था। कोरोना संकट के चलते गंगा में स्नान पर प्रतिबंध है। ऐसे में घर में ही सूर्यदेव व गंगा का स्मरण कर स्नान विधान किए जा रहे है। प्रमुख मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए है।
कोरोना संक्रमण काल के कारण ग्रहण में गंगा में नहाने नहीं दिया जा रहा है। गंगा घाटों की ओर जाने वाले सभी प्रमुख सड़कों व गलियों पर पुलिस की निगरानी है। इससे पूर्व गंगा दशहरा व निर्जला एकादशी के मौके पर भी भक्तों को गंगा स्नान नहीं करने दिया गया। ग्रहण काल में इस बार लोग घरों में धार्मिक आयोजन व नहान को पूरा करे रहे हैं। वैसे पूर्व में ग्रहण काल में काशी की घाटों पर नहाने व दान करने वालों की भारी भीड़ होती थी। इस बार सभी घाटों पर सन्नाटा पसरा है।
तीन घंटेे 33 मिनट की अवधि तक चलने वाला यह सूर्य ग्रहण
तीन घंटेे 33 मिनट की अवधि तक चलने वाला यह सूर्य ग्रहण भारत में अधिकतम स्थानों पर खंड ग्रास सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई देगा। ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार मिथुन राशि और मृग शिरा नक्षत्र पर लग रहे खंड ग्रास सूर्य ग्रहण का स्पर्श सुबह 10.30 बजे हुआ तथा मोक्ष 2.04 बजे हुआ। मध्य काल दोपहर 12.18 बजे था। सूर्य ग्रहण में 12 घंटे पूर्व अर्थात 20 जून की रात 10.30 बजे से सूतक काल शुरू हुआ है। इस अवधि में बालक, वृद्ध, रोगी को छोड़कर अन्य लोगों को भोजन कदापि नहीं करना चाहिए।
सूर्य ग्रहण के समय भगवान सूर्यदेव की मुक्ति के लिए धार्मिक कृत्य, स्नान और श्राद्ध-दान का विधान है। मान्यता है कि ग्रहण में जपा गया मंत्र सिद्धप्रद होता है। धर्म शास्त्र के अनुसार जहां-जहां ग्रहण दिखता है, वहां ही ग्रहण का फल भी होता है। इस अवधि में गंगा स्नान-दान का विशेष महत्व है। हालांकि कोरोना संकट के चलते गंगा में स्नान पर प्रतिबंध है। ऐसे में घर में ही सूर्यदेव व गंगा का स्मरण कर स्नान विधान किए जा सकते हैैं। 'गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती नर्मदा सिंधु कावेरी जलेस्मिन सन्निधिम कुरु...। हाथ में जल लेकर मंत्रोच्चार करें और जल को संपूर्ण जल पात्र में मिला दें। इससे समस्त नदियों में स्नान का पुण्य होगा।
मिथुन राशि वाले रहें सावधान : यह सूर्य ग्रहण मिथुन राशि पर लग रहा है। अत: मिथुन राशि वालों को ग्रहण नहीं देखना चाहिए। उन्हें हर तरह से सावधान रहना चाहिए। मेष, सिंह, कन्या, मकर राशि वालों के लिए यह ग्रहण लाभप्रद होगा।
श्रीकाशी विश्वनाथ सहित सभी मंदिरों के कपाट बंद
सूर्यग्रहण के कारण श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में होने वाली मध्याह्न भोग आरती ग्रहण सूतक पूर्ण होने के पश्चात उग्रह पूजन के उपरांत संपन्न होगी। मध्याह्न भोग आरती में फलाहार का भोग लगाया जाएगा। वहीं मध्याह्न भोग आरती को छोड़कर शेष सभी आरती अपने निर्धारित समय पर होगी। सूर्यग्रहण के कारण सुबह नौ बजे से दोपहर 2:04 बजे तक मंदिर के कपाट बंद रहे। मुख्य कार्यपालक अधिकारी के मुताबिक उग्रह पूजनोपरांत मध्याह्न भोग आरती के बाद श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का कपाट सामान्य दर्शनार्थियों के लिए खोला जाएगा। उधर, सूर्यग्रहण के कारण सुबह आठ बजे से अपराह्न तीन बजे तक अन्नपूर्णा मंदिर भी बंद रखा गया। मध्याह्न भोग आरती कपाट खुलने के बाद होगी। विंध्यवासिनी मंदिर तो बंद चल रहा है लेकिन मां की आरती चारों पहर नियमित की जा रही है। पहली आरती भोर के चार से पांच बजे, दूसरी दोपहर बारह से एक बजे, तीसरी सवा सात से सवा आठ व चौथी आरती साढ़े नौ से साढ़े दस बजे तक की जाती है। सूर्यग्रहण के चलते दोपहर की बारह से एक बजे तक होने वाली मां विंध्यवासिनी की तीसरी आरती सुबह नौ से दस बजे तक ही हो गई।