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बदरीनाथ कपूर के निधन से साहित्यकार और शिक्षाशास्त्री मर्माहत, दी श्रद्धांजलि

जागरण संवाददाता वाराणसी जनपद के विभिन्न साहित्यिक-सांस्कृतिक संगठनों व साहित्यकारों ने श

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 10:33 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 11:11 PM (IST)
बदरीनाथ कपूर के निधन से साहित्यकार और शिक्षाशास्त्री मर्माहत, दी श्रद्धांजलि
बदरीनाथ कपूर के निधन से साहित्यकार और शिक्षाशास्त्री मर्माहत, दी श्रद्धांजलि

जागरण संवाददाता, वाराणसी : जनपद के विभिन्न साहित्यिक-सांस्कृतिक संगठनों व साहित्यकारों ने शुक्रवार को शोक सभा कर अनन्य भाषाविद् व कोशकार डा. बदरी नाथ कपूर को याद किया और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। डा. कपूर का 89 वर्ष की आयु में गुरुवार को मलदहिया स्थित आवास पर निधन हो गया था।

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साहित्यकारों ने उनके कृतित्व व व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए कहा कि डा. कपूर शब्दलोक के अथक यात्री थे जो अब अंतत यात्रा पर चले गए हैं। वह हिदी भाषा और साहित्य के अप्रतिम गौरव-स्तंभ थे। सादगी की मूर्ति, स्वभाव से विनम्र व भौतिकता के प्रति उदासीन डा. कपूर उच्च कोटि के कोशकार, संपादक, निपुण अनुवादक और व्याकरण के पंडित थे। उनका जन्म 16 सितंबर 1932 को संयुक्त प्रांत गुजरांवाला जिले के अकालगढ़ नामक कस्बे में हुआ था। उनके पिता नंदगोपाल वहां के जमींदार थे। माता अन्नपूर्णा देवी काशी के एक सनातनी परिवार से संबंधित थीं। अगस्त 1947 में जब देश आजाद हुआ तो हिसा की आंच उनके घरों तक भी पहुंच गई। सात सितंबर 1947 को पाकिस्तान आततायियों ने उनके माता-पिता की निर्मम हत्या कर दी थी। उस समय उनकी उम्र महज 15 वर्ष थी। आंखों के सामने माता-पिता की हत्या देख उन्हें असहनीय पीड़ा हुई। किसी तरह वहां से बचाकर उन्हें एक स्थानीय शरणार्थी शिविर में रखा गया। अक्टूबर 1947 में सेना के ट्रक से वह किसी तरह भाग कर भारत आए। फिर वह अपने मामा आचार्य रामचंद्र वर्मा के घर काशी चले गए। आचार्य रामचंद्र वर्मा हिदी के विख्यात साहित्यकार व कोशकार थे। मामा के यहां ही रहकर उन्होंने हरिश्चंद्र कालेज से हाईस्कूल, इंटर व बीए की शिक्षा ग्रहण की। पंजाब विश्वविद्यालय से उन्होंने एमए व पीएचडी की डिग्री ली। वर्ष 1975 में 'मानक हिदी कोश' के संपादन का कार्य आचार्य राम चंद्र वर्मा को मिला था। इसमें डा. कपूर को भी सहायक संपादक का दायित्व सौंपा गया। इस प्रकार उन्होंने मामा के निर्देशन में शब्द मीमांसा व लेखन का कार्य प्रारंभ किया। इस क्रम में उन्होंने अंग्रेजी हिदी पर्यायवाची कोश, शब्द परिवार कोश, मुहावरा कोश, हिदी-अंग्रेजी कोश, हिदी प्रयोग कोश, हिदी कोश, जैसे अनेक कोशों का निर्माण व संपादन किया। उन्हें भाषा रत्न, काशी रत्न, सौहार्द सम्मान, मदन मोहन मालवीय पुरस्कार व राज्य हिदी संस्थान की ओर से वर्ष 2019 में हिदी गौरव पुरस्कार सहित अन्य कई सम्मान मिल चुके हैं। वरिष्ठ साहित्यकार डा. जितेंद्र नाथ मिश्र, डा. राम सुधार सिंह, डा. श्रद्धानंद सहित अन्य साहित्यकारों ने उनके निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। मरणोपरांत नेत्रदान

साहित्यकार डा. बदरी नाथ कपूर की इच्छा के अनुरूप उनके पुत्र दीपक कपूर ने मरणोपरांत नेत्रदान कराया। लायंस आई बैंक के सचिव व खत्री हितकारिणी सभा के उपाध्यक्ष डा. अनुराग टंडन ने बताया कि डा. कपूर के निधन के बाद उनके पुत्र दीपक कपूर ने फोन से संपर्क कर नेत्रदान कराने की इच्छा प्रकट की। वहीं नेत्रदान की प्रक्रिया डा. शेखर ने पूरी कराई।


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