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कार्तिक माह में त्योहारों की फेहरिश्त, गुरुवार से हो रहा भगवान विष्णु के सबसे प्रिय महीने का आगाज

शरद पूर्णिमा के बाद गुरुवार से कार्तिक मास का आगाज हो रहा है। यह भगवान विष्णु का सबसे प्रिय व पवित्र महीना माना जाता है। इस दौरान श्रद्धालु पवित्र नदियों सरोवरों में अनेक श्रद्धालु एवं महिलाएं प्रात काल कार्तिक स्नान करते हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 18 Oct 2021 08:12 PM (IST)Updated: Mon, 18 Oct 2021 08:12 PM (IST)
कार्तिक माह में त्योहारों की फेहरिश्त, गुरुवार से हो रहा भगवान विष्णु के सबसे प्रिय महीने का आगाज
शरद पूर्णिमा के बाद गुरुवार से कार्तिक मास का आगाज हो रहा है।

जागरण संवाददाता, गाजीपुर। शरद पूर्णिमा के बाद गुरुवार से कार्तिक मास का आगाज हो रहा है। यह भगवान विष्णु का सबसे प्रिय व पवित्र महीना माना जाता है। इस दौरान श्रद्धालु पवित्र नदियों सरोवरों में अनेक श्रद्धालु एवं महिलाएं प्रात: काल कार्तिक स्नान करते हैं।

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कार्तिक के महीने में ही हिंदुओं के महापर्व दीपावली छठ समेत अनेक पर्व त्यौहार पड़ते हैं। इस बार 21 अक्टूबर से जारी कार्तिक मास का समापन 19 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा पर होगा। जगह-जगह गांवों, मंदिरों, जलाशयों के पास श्रीमद्भागवत कथा, रामायण पाठ, प्रवचन, महायज्ञ, पूजन, भजन-कीर्तन आदि का आयोजन किया जा रहा है। कार्तिक का महीना केवल पूजन-अर्चन एवं पर्व त्योहारों का महीना ही नही बल्कि कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था में यह नई फसलों की आवक का समय भी होता है। इसी दौरान अन्य मौसमी फसलों के साथ सोयाबीन एवं धान की फसल पैदा होती है। गन्ने से गुड़ बनाने का काम जोरों पर होता है। किसान गेहूं, चना, मटर, अरहर आदि फसलों की तैयारी में भी लगे रहते हैं। हल्की गुलाबी ठंड पड़ने से मौसम सुहाना होने लगता है। इसमें पड़ने वाले त्यौहार अपना अलग ही महत्व रखते हैं। कार्तिक माह के दौरान जो उल्लेखनीय त्योहार पड़ेंगे उनमें 24 अक्टूबर को करवा चौथ, दो नवंबर को धनतेरस, तीन को नरक चतुर्दशी, चार को दीपावली, पांच को गोवर्धन पूजा अन्नकूट, छह को भाईदूज, चित्रगुप्त पूजन, दस नवम्बर को सूर्य षष्ठी छठ पूजा एवं 18 नवंबर को स्नान दान पूर्णिमा के साथ कार्तिक मास का समापन हो जाएगा।

16 कलाओं से परिपूर्ण चंद्रमा से निकलने वाली किरणों का महत्व बहुत

आश्विन मास के शुक्लपक्ष की शरद पूर्णिमा आज मंगलवार को मनाई जाएगी। लहुरीकाशी में इसे लेकर खास उत्साह है। शरद पूर्णिमा की रात सोलह कलाओं से परिपूर्ण चंद्रमा से निकलने वाली किरणें अमृत समान होती हैं। ऐसे में श्रद्धालु जन पूर्णिमा की रात में चावल-दूध का खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखकर दूसरे दिन इसे आस्था के साथ ग्रहण करेंगे। खानपुर: शरद पूर्णिमा, वर्षा और शीत ऋतु के संधि काल की पूर्णिमा होती है और चंद्रमा अपनी पूर्ण कला में होता है। आज चंद्रमा अमृत वर्षा करता है जिससे शरद पूर्णिमा के चंद्रमा के पूजन से स्वस्थ और निरोगी काया की प्राप्ति होती है।


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