सात माह से अंधेरे में बीत रहा सोनभद्र में चोरपनिया इलाके के लोगों का जीवन, खराब पड़ा है सौर ऊर्जा संयंत्र
रेणुकापार के बड़े हिस्से को काला पानी क्यों कहा जाता है इसका अंदाजा सामूहिक कर्मठता के दम पर छह किलोमीटर सड़क बनाकर शासन तक चर्चा में आये दुर्गम चोरपनिया के आदिवासियों के जीवन को देख कर लगाया जा सकता है।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र। रेणुकापार के बड़े हिस्से को काला पानी क्यों कहा जाता है, इसका अंदाजा सामूहिक कर्मठता के दम पर छह किलोमीटर सड़क बनाकर शासन तक चर्चा में आये दुर्गम चोरपनिया के आदिवासियों के जीवन को देख कर लगाया जा सकता है। यहां के आदिवासियों का जीवन पिछले सात महीने से अंधेरे में बीत रहा है। पिछले माह प्रशासन की सक्रियता के बावजूद अभी तक सौर ऊर्जा सयंत्र खराब पड़ा है।
पिछले एक माह से चोरपनिया में दर्जनों ग्रामीण बीमार हो गए है। बीते रविवार को एक युवक की मौत के बाद ग्रामीण काफी आक्रोशित हैं। पिछले माह एक बालिका की भी मौत हो चुकी है। बिना बिजली के यहां का जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। मच्छरों के भारी प्रकोप के बीच पंखे नहीं चल पाना जानलेवा साबित हो रहा है। गौरतलब है कि बीते 18 अगस्त को ग्रामीणों ने बंधी में घुसकर प्रदर्शन करते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी की थी। ग्रामीणों ने सरकार पर राजनीतिक बदले की भावना से कार्य करने का आरोप लगाया था। कहा था कि पूर्व की अखिलेश यादव सरकार द्वारा इस गांव को जो सौगात दी गई, उसे पूरी तरह खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है।
जिसके बाद 19 अगस्त को उपायुक्त मनरेगा अरुण कुमार जौहरी ने संयंत्र का निरीक्षण किया था। उनके साथ नेडा से भी लोग गए थे, लेकिन उनके निरीक्षण के 40 दिनों बाद भी संयंत्र चालू नहीं हो पाया। ग्रामीण शिव कुमार ने बताया कि बिना बिजली यहां का जीवन ढिबरी युग जैसा पुनः हो गया है। उधर सौर ऊर्जा संयंत्र की देखभाल करने वाली निजी फर्म की टीम ने दो दिन पूर्व संयंत्र का निरीक्षण किया है। फर्म के प्रबंधक एसके जायसवाल ने बताया कि कुछ तकनीकी पार्ट्स दिल्ली से आने हैं। उनके आने के बाद संयंत्र का आगामी 10 अक्टूबर तक चालू हो जाएगा। बताया कि ग्रामीणों द्वारा मानक से ज्यादा लोड वाले यंत्र चलाने से संयंत्र को दिक्कत पेश आ रही है।
संयंत्र में है भारी खामियां
यहां मौजूद सौर ऊर्जा संयंत्र में 56 एमसीबी में 32 खराब है। इसके अलावा चार बैटरी, दो पैनल तथा चार पंखे खराब पड़े हैं। सोलर प्लेटों को साफ रखने के लिए लगाया गया सबमर्सिबल दो वर्षों से ज्यादा समय से खराब पड़ा हुआ है। यहां पर तैनात कर्मी को पिछले 19 माह से वेतन भी नहीं दिया गया है। यहां छह तड़ित यंत्र की जगह केवल दो यंत्र ही लगाए गए हैं। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले चार वर्षों से इस प्लांट पर टेक्नीशियन की नियुक्ति नहीं की गई, जिसके कारण प्लांट की देखभाल यहां के दो चौकीदार के भरोसे हैं।