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रामनगर राजकीय बालगृह और संप्रेक्षण गृह का विधिक सचिव ने किया निरीक्षण, अधिकारों की दी जानकारी

राजकीय संप्रेक्षण गृह (किशोर) का भी विधिक सचिव ने निरीक्षण किया। राजकीय संप्रेक्षण गृह में 97 किशोर हैं। यहां भी किशोरों को उनके अधिकारों की जानकारी देने के लिए विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया था। निरीक्षण के दौरान विधिक सचिव द्वारा अधीक्षक को आदेशित भी किया।

By Abhishek sharmaEdited By: Published: Wed, 10 Feb 2021 05:37 PM (IST)Updated: Wed, 10 Feb 2021 05:37 PM (IST)
रामनगर राजकीय बालगृह और संप्रेक्षण गृह का विधिक सचिव ने किया निरीक्षण, अधिकारों की दी जानकारी
निरीक्षण के दौरान विधिक सचिव द्वारा अधीक्षक को आदेशित भी किया गया।

वाराणसी, जेएनएन। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में मंगलवार को रामनगर स्थित राजकीय बालगृह (बालक) एवं राजकीय संप्रेक्षण गृह (किशोर) में विधिक जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया। प्राधिकरण की सचिव व सिविल जज सुधा सिंह ने बाल गृह में बालकों को उनके विधिक अधिकारों की जानकारी दी। उनकी दिनचर्या से अवगत होने के साथ ही उनकी समस्याओं को भी सुना।

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'बच्चों में संस्था से पलायन की बढ़ती हुई प्रवृत्ति' पर भी चर्चा करते हुए बच्चों को समझाया। बाल गृह में वर्तमान में बालकों की कुल संख्या 43 है जिनमें से 18 बालक मानसिक रूप से विक्षिप्त है। 18 मानसिक रूप से विक्षिप्त में से तीन बालकों को बहुत ही ज्यादा विशेष देखभाल की आवश्यकता है। इसके परिप्रेक्ष्य में विधिक सचिव द्वारा पूछे जाने पर अधीक्षक ने बताया कि इस संस्था में क्योंकि मानसिक रूप से विक्षिप्त बालकों को रखे जाने की संख्या मात्र दस का है लेकिन इसके सापेक्ष मानसिक रूप से विक्षिप्त बालकों की संख्या अधिक हो चुकी है।

इसके सापेक्ष ना तो कोई ट्रेंड या विशेष योग्यता वाली नर्स ही संस्था में उपलब्ध है और ना ही विशेष योग्यता प्राप्त कोई शिक्षक या ट्रेनर ही इन मानसिक रूप से विक्षिप्त बच्चों के लिए उपलब्ध है। ऐसी स्थिति में किसी ट्रेंड नर्स या शिक्षक की शासन की ओर से नियुक्ति अत्यंत आवश्यक है। इस संबंध में अविलंब शासन को पत्र प्रेषित किए जाने हेतु विधिक सचिव द्वारा अधीक्षक को आदेशित किया गया।

राजकीय संप्रेक्षण गृह (किशोर) का भी विधिक सचिव ने निरीक्षण किया। राजकीय संप्रेक्षण गृह में 97 किशोर हैं। यहां भी किशोरों को उनके अधिकारों की जानकारी देने के लिए विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया था। निरीक्षण के दौरान विधिक सचिव द्वारा अधीक्षक को आदेशित किया गया कि किशोरों के साथ किसी भी प्रकार का कोई दुर्व्यवहार किसी स्टाफ या अन्य के माध्यम से न हो। 


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