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ट्रांसपोर्टनगर की राह पर 'लैंडपूलिंग'

लैंड बैंक --------- - 30 एकड़ भूमि तय लेकिन किसान वीडीए को जमीन देने को राजी नहीं -

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Nov 2017 07:52 PM (IST)Updated: Tue, 28 Nov 2017 07:52 PM (IST)
ट्रांसपोर्टनगर की राह पर 'लैंडपूलिंग'
ट्रांसपोर्टनगर की राह पर 'लैंडपूलिंग'

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जागरण संवाददाता, वाराणसी : गुजरात की तर्ज पर लैंडपूलिंग स्कीम के जरिए प्राधिकरण के लिए लैंड बैंक तैयार करने की योजना अब ट्रांसपोर्ट नगर की राह पर चलती दिखाई पड़ रही है। यहां भी कोई किसान अपनी जमीन वीडीए को देने के लिए कतई राजी नहीं हो रहा। प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने के लिए 30 एकड़ भूखंड की आवश्यकता है लेकिन भूमि न मिलने के कारण अफसर प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डालना शुरू कर दिए हैं।

योजना के तहत कुल भूखंड का मात्र 25 फीसद विकसित हिस्सा देने की शर्त पर बिदक चुके छोटे-बड़े 70 किसानों को मनाने की हर कोशिश बेकार चली गई है। प्राधिकरण के शीर्ष अधिकारी मान चुके हैं कि यह योजना बनारस में तो नहीं चल सकती। कारण कि वीडीए की शर्त पर किसान अपनी जमीन नहीं देंगे। कई राउंड में हो चुकी बैठक का कोई निष्कर्ष नहीं निकलता दिखाई पड़ रहा है। उधर आवास एवं शहरी नियोजन के प्रमुख सचिव मुकुल सिंघल बार-बार योजना को प्रभावी करने के निर्देश दे रहे हैं। वीडीए सचिव विशाल सिंह ने बताया कि हर कोशिश के बाद भी किसान मान नहीं रहे हैं। चूंकि शासन का निर्देश है इसलिए दोबारा बातचीत कर सकारात्मक निष्कर्ष निकालने का प्रयास किया जाएगा।

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यह है मामला : वीडीए ने परमानदंपुर व गोविंदपुर गांव में 30 एकड़ भूमि का चयन किया है। दायरे में छोटे-बड़े 70 किसानों की जमीन आई है। कुल जमीन का 25 फीसद भाग काश्तकार, जबकि 75 प्रतिशत हिस्से में वीडीए आवासीय कॉलोनी बसाने की योजना बनाई गई।

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केंद्र सरकार में फंसी ट्रांसपोर्ट नगर की फाइल : मंडलायुक्त ने वीडीए की ट्रांसपोर्ट नगर योजना के लिए शासन से 800 करोड़ रुपये मांगे हैं। यह भी अनुरोध किया है कि कोई विभाग जमीन को क्रय करना चाहे तो आगे आए। परियोजना में अभी तक कोई विभाग आगे नहीं आ सका है। इस वजह से यह प्रचलित योजना अधर में फंस गई है। यह परियोजना पहले 95 करोड़ की थी, जो अब बढ़कर 800 करोड़ के पार पहुंच चुकी है। इसमें वीडीए के 40 करोड़ रुपये खर्च भी हो चुके हैं। पत्र में कहा गया है कि चूंकि इतना बजट प्राधिकरण के पास नहीं है इसलिए बिना फंडिंग के योजना को धरातल पर उतारना कतई संभव नहीं प्रतीत हो रहा है।


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