बाबतपुर के लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट पर अपने ही घर में उपेक्षित भारत के 'लाल'
लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट पर भारत के लाल उपेक्षित हैं यह कहना कतई गलत नहीं होगा। विमानों में भी घोषणा होती है कि हम एलबीएस एयरपोर्ट पर लैंड करने को तैयार हैं।
वाराणसी, जेएनएन। लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट पर भारत के 'लाल' उपेक्षित हैं यह कहना कतई गलत नहीं होगा। विमानों में भी घोषणा होती है कि हम एलबीएस एयरपोर्ट पर लैंड करने को तैयार हैं। ऐसे में देश विदेश से आने वाले सैलानियों के मन में शास्त्री जी के विषय में जानने की जिज्ञासा बढ़ जाती है। लेकिन लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की पार्किंग में अनावरण का इंतजार कर रही शास्त्री जी की प्रतिमा कुछ और ही कहानी बया कर रही है। बीते पांच माह से प्रतिमा बनकर तैयार है लेकिन किसी माननीय द्वारा लोकार्पण न हो पाने के कारण फिलहाल देश के लाल की प्रतिमा तिरपाल में कैद हैं।
यहां तक कि ढंकने वाला तिरपाल भी अब फटने लगा है। इस एयरपोर्ट से रोजाना तमाम वीआइपी गुजरते हैं। इनमें पीएम से लेकर कद्दावर मंत्री और अफसर तक शामिल हैं लेकिन शास्त्री जी की प्रतिमा पर किसी की नजर नहीं पड़ी। वहीं दूसरी तरफ एयरपोर्ट प्रशासन भी कुछ भी कहने से बच रहा है। लोगों की मांग पर बनी आदमकद प्रतिमा दरअसल शास्त्री जी की प्रतिमा मुख्य टर्मिनल भवन में साल 2013 में स्थापित की गई थी। लोकार्पण के लिए पहुंचे तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री अजीत सिंह ने लोगों की मांग पर आदम कद प्रतिमा बनवाने के निर्देश दिए थे। शास्त्री जी की प्रतिमा का डिजाइन स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा डिजाइन करने वाले मशहूर मूर्तिकार राम सुतार ने किया है। शास्त्री जी की 18 फीट ऊंची इस प्रतिमा को बनवाने में 70 लाख से अधिक खर्च किया गया है।
2005 में एयरपोर्ट को मिला शास्त्री जी का नाम इस एयरपोर्ट का नाम पहले वाराणसी एयरपोर्ट ही था जिसे साल 2005 में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री जी के नाम पर रखा गया था।
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