वाराणसी में लक्षचण्डी महायज्ञ : गणेश चतुर्दशी पर प्रथम पूज्य की अर्पित हुआ विशेष नैवेद्य
वाराणसी के शंकुलधारा पोखरा स्थित द्वारिकाधीश मंदिर परिसर में श्रीलक्षचण्डी महायज्ञ का क्रम शुक्रवार को भी जारी रहा। गणेश चतुर्थी के मौके पर गणेश जी का विशेष नैवेद्य अर्चन हुआ। देर शाम किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण भी श्रीलक्षचण्डी महायज्ञ की साक्षी बनीं।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। शंकुलधारा पोखरा स्थित द्वारिकाधीश मंदिर परिसर में महामंडलेश्वर स्वामी प्रखर.महाराज के सानिध्य में आयोजित 51 दिवसीय विराट श्रीलक्षचण्डी महायज्ञ की श्रृंखला में चौथे दिन शुक्रवार को गणेश चतुर्थी के अवसर पर गणेश जी का विशेष नैवेद्य अर्चन हुआ। इसके साथ ही दुर्गासप्तशती पाठ का आयोजन किया गया। विद्वान ब्राह्मणों ने मंत्रोच्चार के साथ भाग लिया। सुबह साढ़े सात से साढ़े नौ बजे तक यज्ञ में सम्मिलित होने वाले ब्राह्मणों द्वारा दुर्गा सप्तशती पाठ किया गया। इसके साथ ही यज्ञशाला में स्थापित देवताओं एवं सर्वतोभद्र, पंचांगपीठ आदि चौकियों यजमानों द्वारा पूजन-अर्चन किया गया। देर शाम को गंगा की महाआरती का आयोजन किया गया जिसमें आचार्य गौरव शास्त्री,आत्मबोध प्रकाश के साथ काशी के महायज्ञ समिति के अध्यक्ष कृष्ण कुमार खेमका, सचिव संजय अग्रवाल, सह.सचिव राजेश अग्रवाल, कोषाध्यक्ष सुनील नेमानी, आत्मबोध प्रकाश, आचार्य गौरव शास्त्री समेत बडी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
चारों वेदों का पारायण
प्रातः कालीन बेला में चारों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद ) का वेद पारायण हुआ। इनके मंत्रों का पाठ शुक्ल यजुर्वेद की संहिता मुख्य आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के आचार्यत्व में आचार्य सुनील दीक्षित,अरुण दीक्षित, गजानन सोमण, मनोज वशिमणि, अनुपम दीक्षित, अमित अगस्ती सहित 13 आचार्यों की देखरेख में हुआ। इस दौरान महामंडलेश्वर ने कहा कि वेद के विभाग चार विभाग ऋग-स्थिति, यजु-रूपांतरण, साम-गतिशील और अथर्व-जड़ है। ऋक को धर्म, यजुः को मोक्ष, साम को काम, अथर्व को अर्थ भी कहा जाता है। इन्ही के आधार पर धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, कामशास्त्र और मोक्षशास्त्र की रचना हुई। वेद में एक ही ईश्वर की उपासना का विधान है और एक ही धर्म - 'मानव धर्म' का सन्देश है । वेद मनुष्यों को मानवता, समानता, मित्रता, उदारता, प्रेम, परस्पर-सौहार्द, अहिंसा, सत्य, संतोष, अस्तेय(चोरी ना करना), अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य, आचार-विचार-व्यवहार में पवित्रता, खान-पान में शुद्धता और जीवन में तप-त्याग-परिश्रम की व्यापकता का उपदेश देता है ।
किन्नर अखाड़े के महामण्डलेश्वर लक्ष्मी नारायण ने किया दर्शन
देर शाम किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण भी श्रीलक्षचण्डी महायज्ञ की साक्षी बनीं। उन्होंने इस दौरान महामंडलेश्वर स्वामी प्रखर महाराज से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लिया। इसके बाद यज्ञ में आहुति दी साथ ही पंडाल में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा के दर्शन पूजन भी किया।