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वाराणसी में राजकीय जिला पुस्तकालय में प्रतियोगी परीक्षा की पुस्तकों का अभाव, 1440 सदस्य और 60 लोगों के लिए बैठने की व्यवस्था

एलटी कालेज परिसर में वर्ष 1958 में स्थापित राजकीय जिला पुस्तकालय निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर रहा। आज सुसज्जित भवन के साथ साफ-सफाई का उत्तम प्रबंध दिखाई देता है। स्थापना काल से लेकर आज तक सदस्यों की संख्या के साथ पुस्तकों की संख्या भी बढ़ी है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 08 Oct 2021 09:20 AM (IST)Updated: Fri, 08 Oct 2021 09:21 AM (IST)
वाराणसी में राजकीय जिला पुस्तकालय में प्रतियोगी परीक्षा की पुस्तकों का अभाव, 1440 सदस्य और 60 लोगों के लिए बैठने की व्यवस्था
राजकीय जिला पुस्तकालय में प्रतियोगी परीक्षा की पुस्तकों का अभाव

जागरण संवाददाता, वाराणसी। एलटी कालेज परिसर में वर्ष 1958 में स्थापित राजकीय जिला पुस्तकालय निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर रहा। आज सुसज्जित भवन के साथ साफ-सफाई का उत्तम प्रबंध दिखाई देता है। स्थापना काल से लेकर आज तक सदस्यों की संख्या के साथ पुस्तकों की संख्या भी बढ़ी है। लेकिन आलम यह है कि यहां अध्ययन करने वाले लोगों को आज भी परेशानी हो रही है।

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आज पुस्तकालय के सदस्यों की संख्या 1440 हो गई, जबकि पुस्तकें 25 हजार से अधिक है। ऐसे में पर्याप्त जगह नहीं होने के कारण जहां पुस्तकालय में बैठकर पढ़ने में दिक्कत हो रही है, वहीं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले युवाओं को उनके उपयोग की पुस्तकें नहीं मिल पा रही है। हालांकि पुस्तकालय प्रबंधन की सक्रियता से पुस्तकालय अन्य के अपेक्षा दो घंटे अधिक देर तक सुबह नौ से सायं छह बजे तक संचालित होता है, लेकिन यहां एक साथ 60 लोगों के ही बैठने की व्यवस्था है। इसके बाद जो आते हैं, उन्हें निराशा ही हाथ लगती है और बैठकर पढ़ने के लिए उन्हें किसी एक के उठने का इंतजार करना पढ़ता है। वहीं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं ने कहा कि यहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी से संबंधित पुस्तकों का अभाव है। कहा कि पुस्तकें तो आती हैं, लेकिन उसमें उनके उपयोग की पुस्तकें कम ही रहती है। उन्होंने मांग किया कि पुस्तकों के क्रय के दौरान उनकी जरूरत को ध्यान में रखते हुए पुस्तकों का क्रय किया जाना चाहिए।

50 लाख की लागत से बना हाल

उक्त समस्याओं के संबंध में पुस्तकालयाध्यक्ष केएस परिहार ने कहा कि वर्तमान में 60 लोगों के बैठने की व्यवस्था है, लेकिन 50 लाख की लागत से एक और हाल का निर्माण कराया गया है। इसमें 40 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। यहां पुस्तक रखने का काम किया जा रहा है। जल्द ही इस भी चालू कर दिया जाएगा, इसके बाद समस्या का कुछ हद तक समाधान हो जाएगा। प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित पुस्तकों के संबंध में कहा कि पुस्तकों का क्रय शासन व निदेशालय स्तर पर होता है। स्थानीय स्तर पर खरीद नहीं होती है। जनपद स्तर के अधिकारियों से इस संबंध में अनुरोध किया गया है।


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