जानिए होली और होलिका का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और होलिका की भस्म के चमत्कारिक लाभ
होली का पर्व इस बार 29 मार्च को मनाया जा रहा है। मगर उससे ठीक पहले होलिका दहन 28 मार्च रविवार को मनाया जाएगा। होली का पावन पर्व फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन हर उमंग व उल्लास के साथ मनाने की परंपरा रही है।
वाराणसी, जेएनएन। होली का पर्व इस बार 29 मार्च, सोमवार को मनाया जा रहा है। मगर, उससे ठीक पहले होलिका दहन 28 मार्च रविवार को मनाया जाएगा। होली का पावन पर्व फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन हर उमंग व उल्लास के साथ मनाने की परंपरा रही है। ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि इस बार पूर्णिमा तिथि 27 मार्च शनिवार को अर्धरात्रि के बाद 3:27 पर लगेगी जो कि 28 मार्च रविवार को आधी रात 12:18 तक रहेगी।
स्नान दान व्रत फाल्गुनी पूर्णिमा 28 मार्च रविवार को रहेगी। पूर्णिमा की रात्रि में होलिका दहन करने का विधान है। 21 मार्च रविवार से प्रारंभ होलाष्टक 28 मार्च रविवार को समाप्त हो जाएगा। इस दिन रंगोत्सव का रंगारंग पर्व विधि विधान पूर्वक मनाया जाएगा। इसी दिन एक दूसरे को लोग अबीर गुलाल भी लगाएंगे। इस दिन काशी में चौसट्टी घाट पर विराजमान चौसट्टी देवी का दर्शन करने की विशेष महिमा मानी गई है।
चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 28 मार्च रविवार को आधी रात 12:18 से प्रारंभ हो जाएगी, जो कि 29 मार्च सोमवार को रात्रि 8:55 तक रहेगी। ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि पूर्व स्थापित की गई होलिका की विधि विधान पूर्वक पूजा की जाती है। होलिका पूजन में रोली, अक्षत, पुष्प, साबुत हल्दी गांठ, नारियल, बताशा, कच्चा सूत, गोबर के उपले एवं पूजन की अन्य सामग्री रहती है। होलिका दहन के समय होलिका की परिक्रमा करने का विधान माना गया है। होलिका की भस्म अत्यंत चमत्कारिक मानी गई है। ऐसी मान्यता है कि होलिका दहन के बाद होलिका की बस मस्तक पर लगाने से आरोग्य लाभ के साथ सुख समृद्धि व खुशहाली मिलती है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर चैतन्य महाप्रभु की जयंती भी मनाई जाती है।