विशिष्ट क्षेत्र के जिम्मे होगा काशी विश्वनाथ कारिडोर, न्यास देखेगा मंदिर में पूजन और अनुष्ठान
कार्यपालक समिति के पास न्यास की ओर से पारित प्रस्तावों के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी है। पीएम-सीएम की मंशा के अनुरूप श्रद्धालुओं को बाबा का दर्शन सुगम हो सके। शासन से बिना कोई बजट लिए इसका खाका खींचने के लिए कंसल्टेंट कंपनी का चयन किया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी।Kashi Vishwanath Corridor बाबा दरबार से गंगधार तक का क्षेत्र एकाकार करने के लिए बनाए जा रहे कारिडोर की व्यवस्था श्रीकाशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद के जिम्मे होगी। संचालन व रखरखाव के लिहाज से कारिडोर पूर्णतया स्वावलंबी होगा। शासन से बिना कोई बजट लिए इसका खाका खींचने के लिए कंसल्टेंट कंपनी का चयन किया जा रहा है।
कंपनी तय करेगी कि भवनों को लीज पर या किराये पर दिया जाए। इसके अलावा बाद में किसी तरह के विवाद से बचने के लिए परियोजना के तहत निर्माणाधीन भवनों की पैमाइश करा कर मानचित्र व अभिलेख तैयार कराया जाएगा। राजस्व विभाग से इनकी पुष्टि करा कर अभिलेखीकरण कराया जाएगा। इसमें श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की ओर से खरीदे गए भवनों का अलग अभिलेख होगा। न्यास पूर्ववत मंदिर में पूजन पद्धति व प्रथा परंपरा पर नजर रखेगा।
शनिवार को विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद की पांचवीं बैठक में इस संबंध में भी विचार विमर्श किया गया। दरअसल, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण व सुंदरीकरण परियोजना के तहत बाबा दरबार से गंगा तट तक कारिडोर की दिशा में कार्य शुरू होने के साथ ही श्रीकाशी विश्वनाथ विशिष्ट विकास क्षेत्र परिषद का 2018 में गठन किया गया था। भवनों की खरीद व निर्माण कार्य भी परिषद की देखरेख में ही कराया जा रहा है। वहीं मंदिर का 1983 में शासन की ओर से अधिग्रहण के साथ ही श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास और कार्यपालक समिति का गठन किया गया था। इसमें विधायी संस्था के तौर पर न्यास को पूजन पद्धति व प्रथा-परंपरा पर नजर रखने की जिम्मेदारी दी गई थी।
तय प्रारूप अनुसार कार्यपालक समिति के पास न्यास की ओर से पारित प्रस्तावों के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी है। काशी विश्वनाथ मंदिर व विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद के मुख्य कार्यपालक अधिकारी की संयुक्त रूप से जिम्मेदारी निभा रहे सुनील कुमार वर्मा के अनुसार उद्देश्य है कि पीएम-सीएम की मंशा के अनुरूप श्रद्धालुओं को बाबा का दर्शन सुगम हो सके। इस दृष्टि से ही व्यवस्था बनाई जा रही है। कारिडोर के लिए 316 भवन खरीदे गए और उन्हें ध्वस्त कर श्रद्धालु सुविधाओं को आकार दिया जा रहा है। बाद में किसी तरह के व्यवधान से बचने के लिए अभिलेख दुरूस्त किए जाने हैैं। बाद में खरीदी गई जमीन को चहार दीवारी बनाकर सुरक्षित किया जाना है।