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काशी विश्वनाथ कॉरिडोर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया लोकार्पण, बोले- आत्मनिर्भर भारत के लिए बढ़ाते रहें अपने प्रयास

Kashi Vishwanath Dham News वाराणसी आगमन पर शहर के कोतवाल काल भैरव की अनुमति के बाद उन्होंने गंगा स्नान किया और फिर वहां से गंगा जल लेकर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे। जहां पर पूजा-अर्चना के बाद श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के नव्य स्वरूप का लोकार्पण किया।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 13 Dec 2021 08:59 AM (IST)Updated: Mon, 13 Dec 2021 04:47 PM (IST)
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया लोकार्पण, बोले- आत्मनिर्भर भारत के लिए बढ़ाते रहें अपने प्रयास
श्रीकाशी विश्‍वनाथ धाम का लोकार्पण करते प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी

वाराणसी, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दो दिवसीय दौरे पर सोमवार को पहले दिन देश तथा प्रदेश को नायाब तोहफा दिया। वाराणसी आगमन पर शहर के कोतवाल काल भैरव की अनुमति के बाद उन्होंने गंगा स्नान किया और फिर वहां से गंगा जल लेकर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे। जहां पर पूजा-अर्चना के बाद श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के नव्य स्वरूप का लोकार्पण किया।

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प्रधानमंत्री ने इस दौरान वहां पर पधारे विशिष्टजन को संबोधित भी किया। करीब 50 मिनट के संबोधन में उन्होंने इस कारिडोर को बनाने वाले श्रमिकों को भी धन्यवाद दिया। पीएम मोदी ने इस दौरान केन्द्र तथा राज्य सरकारों के काम के साथ ही साथ इतिहास की गर्त में समा चुके आतताइयों का भी जिक्र किया।

वाराणसी में श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का नव्य भव्य स्वरूप देश को समर्पित करने आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि मैं आपसे अपने लिए नहीं, हमारे देश के लिए तीन संकल्प चाहता हूं- स्वच्छता, सृजन और आत्मनिर्भर भारत के लिए निरंतर प्रयास। गुलामी के लंबे कालखंड ने हम भारतीयों का आत्मविश्वास ऐसा तोड़ा कि हम अपने ही सृजन पर विश्वास खो बैठे। आज हजारों वर्ष पुरानी इस काशी से, मैं हर देशवासी का आह्वान करता हूं- पूरे आत्मविश्वास से सृजन करिए, इनोवेट करिए, इनोवेटिव तरीके से करिए। तीसरा एक संकल्प जो आज हमें लेना है, वो है आत्मनिर्भर भारत के लिए अपने प्रयास बढ़ाने का। ये आजादी का अमृतकाल है। हम देश की आजादी के 75वें साल में हैं। जब भारत सौ साल की आजादी का समारोह बनाएगा, तब का भारत कैसा होगा, इसके लिए हमें अभी से काम करना होगा।

प्रधानमंत्री श्रीकाशी विश्वनाथ दरबार में बाबा का पूजन-अभिषेक के बाद मंदिर चौक में देश भर से आए संतों व विशिष्ट जनों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अपने भाव साझा किए। उन्होंने कहा कि हृदय गदगद है, मन आह्लादित है। आप सब लोगन के बहोत-बहोत बधाई हौ। विश्वनाथ धाम का यह पूरा नया परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है, यह प्रतीक है, हमारे भारत की सनातन संस्कृति का। यह प्रतीक है, हमारी आध्यात्मिक आत्मा का। यह प्रतीक है, भारत की प्राचीनता का, परंपराओं का। भारत की ऊर्जा का, गतिशीलता का।

पीएम मोदी ने कहा कि हमारे पुराणों में कहा गया है कि जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है, सारे बंधनों से मुक्त हो जाता है। भगवान विश्वेश्वर का आशीर्वाद, एक अलौकिक ऊर्जा यहां आते ही हमारी अंतर-आत्मा को जागृत कर देती है। अलौकिक ऊर्जा अंतरात्मा को आलोकित कर देती है। दिव्य चेतना में अलग ही स्पंदन है, अलग ही आभा है। शास्त्रों में सुना है जब भी कोई पुण्य अवसर होता है सारे तीर्थ, सारे देव-शक्तियां उपस्थित हो जाती हैं। वैसा ही अनुभव बाबा के दरबार में आकर हो रहा है। लग रहा है जैसे हमारा समस्त चेतन ब्रह्मïांड से जुड़ा हुआ है। वैसे अपनी माया का विस्तार बाबा ही जानें। हमारी मानवीय दृष्टि जहां तक जाती है, बाबा धाम के विस्तार से पूरा विश्व जुड़ा हुआ है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भगवान शिव का प्रिय दिन सोमवार है। विक्रम संवत 2078 मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष दशमी तिथि एक नया इतिहास रच रही है। हमारा सौभाग्य है कि हम इस तिथि के साक्षी बन रहे हैं। आज विश्वनाथ धाम अकल्पनीय आनंद, ऊर्जा से भरा है। उसका वैभव विस्तार ले रहा है। इसकी विशेषता आसमान छू रही हैं। आसपास जो प्राचीन मंदिर लुप्त प्राय थे, उन्हें पुनस्र्थापित किया जा चुका है। बाबा अपने भक्तों की सदियों की सेवा से प्रसन्न हुए हैं। बाबा विश्वनाथ धाम का ये पूरा नया परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है, यह प्रतीक है, हमारे भारत की सनातन संस्कृति का। यह प्रतीक है, हमारी आध्यात्मिक आत्मा का। यह प्रतीक है, भारत की प्राचीनता का, परंपराओं का। भारत की ऊर्जा का, गतिशीलता का। आप यहां जब आएंगे तो केवल आस्था के दर्शन नहीं करेंगे। आपको यहां अपने अतीत के गौरव का अहसास भी होगा। कैसे प्राचीनता और नवीनता एक साथ सजीव हो रही हैं, कैसे पुरातन की प्रेरणाएं भविष्य को दिशा दे रही हैं।

पीएम ने कहा कि हम इसके साक्षात दर्शन विश्वनाथ धाम परिसर में कर रहे हैं। प्राचीनता व नवीनता सजीव हो रही है। जो मां गंगा उत्तरवाहिनी होकर बाबा के पांव पखारने काशी आती हैं। वह मां गंगा भी आज बहुत प्रसन्न हुई हैं। अब हम जब बाबा के चरणों में प्रणाम करेंगे तो मां गंगा को स्पर्श करती हवा स्नेह देगी। गंग तरंगों की कल-कल का दैवीय अनुभव भी कर सकेंगे। बाबा विश्वनाथ सबके हैं। मां गंगा सबकी हैं। उनका आशीर्वाद सबके लिए है, लेकिन समय व परिस्थितियों के चलते बाबा व मां गंगा की यह सेवा मुश्किल हो चली थी। रास्ता व जगह की कमी हो चली थी। बुजुर्गों व दिव्यांगों को आने में दिक्कत होती थी। विश्वनाथ धाम परियोजना से यह सुलभ हो गया है। अब दिव्यांग भाई-बहन, बुजुर्गजन बोट से जेटी तक आएंगे। स्वचालित सीढ़ी से मंदिर तक आ पाएंगे। संकरे रास्तों से परेशानी होती थी जो कम होगी। पहले यहां जो मंदिर क्षेत्र केवल तीन हजार वर्ग फीट में था, वह करीब पांच लाख वर्ग फीट का हो गया है। अब मंदिर व मंदिर परिसर में 50, 60, 70 हजार श्रद्धालु आ सकते है। पहले मां गंगा का दर्शन फिर विश्वनाथ धाम, यही तो है हर हर महादेव।

काशी अविनाशी है

पीएम ने कहा कि काशी तो काशी है। काशी तो अविनाशी है। काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथों में डमरू है, उनकी सरकार है। जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हों, उस काशी को भला कौन रोक सकता है। आतातायियों ने इस नगरी पर आक्रमण किए, इसे ध्वस्त करने के प्रयास किए। औरंगजेब के अत्याचार, उसके आतंक का इतिहास साक्षी है। जिसने सभ्यता को तलवार के बल पर बदलने की कोशिश की, जिसने संस्कृति को कट्टरता से कुचलने की कोशिश की, लेकिन इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है। यहाँ अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं। अगर कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का अहसास करा देते हैं। अंग्रेजों के दौर में भी, हेस्टिंग का क्या हश्र काशी के लोगों ने किया था, यह तो काशी के लोग जानते ही हैं। काशी शब्दों का विषय नहीं है, संवेदनाओं की सृष्टि है। काशी वो है- जहां जागृति ही जीवन है। काशी वो है-जहां मृत्यु भी मंगल है। काशी वो है- जहां सत्य ही संस्कार है। काशी वो है-जहां प्रेम ही परंपरा है। बनारस वो नगर है जहां से जगद्गुरु शंकराचार्य को श्रीडोम राजा की पवित्रता से प्रेरणा मिली, उन्होंने देश को एकता के सूत्र में बांधने का संकल्प लिया। यह वो जगह है जहां भगवान शंकर की प्रेरणा से गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस जैसी अलौकिक रचना की। यहीं की धरती सारनाथ में भगवान बुद्ध का बोध संसार के लिए प्रकट हुआ। समाज सुधार के लिए कबीरदास जैसे मनीषी यहाँ प्रकट हुए। समाज को जोडऩे की जरूरत थी तो संत रैदास जी की भक्ति की शक्ति का केन्द्र भी यह काशी बनी। काशी अहिंसा, तप की प्रतिमूर्ति चार जैन तीर्थंकरों की धरती है। राजा हरिश्चंद्र की सत्यनिष्ठा से लेकर वल्लभाचार्य,रमानन्द जी के ज्ञान तक। चैतन्य महाप्रभु,समर्थगुरु रामदास से लेकर स्वामी विवेकानंद,मदनमोहन मालवीय तक। छत्रपति शिवाजी महाराज के चरण यहां पड़े थे। रानी लक्ष्मी बाई से लेकर चंद्रशेखर आजाद तक, कितने ही सेनानियों की कर्मभूमि-जन्मभूमि काशी रही है। भारतेंदु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, मुंशी प्रेमचंद, पंडित रविशंकर, और बिस्मिल्लाह खान जैसी प्रतिभाएं। इस स्मरण को कहाँ तक ले जाया जाए। कितने ही ऋषियों,आचार्यों का संबंध काशी की पवित्र धरती से रहा है। काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण, भारत को एक निर्णायक दिशा देगा, एक उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएगा। यह परिसर, साक्षी है हमारे सामर्थ्य का, हमारे कर्तव्य का। अगर सोच लिया जाए, ठान लिया जाए, तो असंभव कुछ भी नहीं। हर भारतवासी की भुजाओं में वो बल है, जो अकल्पनीय को साकार कर देता है। हम तप जानते हैं, तपस्या जानते हैं, देश के लिए दिन रात खपना जानते हैं। चुनौती कितनी ही बड़ी क्यों ना हो, हम सभी भारतीय मिलकर उसे परास्त कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का भारत अपनी खोई हुई विरासत को फिर से संजो रहा है। यहां काशी में तो माता अन्नपूर्णा खुद विराजती हैं। मुझे खुशी है कि काशी से चुराई गई मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा, एक शताब्दी के इंतजार के बाद अब फिर से काशी में स्थापित की जा चुकी है। मेरे लिए जनता जनार्दन ईश्वर का ही रूप है, हर भारतवासी ईश्वर का ही अंश है, इसलिए मैं कुछ मांगना चाहता हूं।

काशी विश्वनाथ का जलाभिषेक करने के लिए खुद पीएम मोदी गंगा से जल लेने गए। इस दौरान उन्होंने गंगा स्नान किया और सूर्य को जल भी अर्पित किया। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने गंगा में डुबकी लगाकर, सूर्य को अर्ध्‍य दिया। इससे पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी काल भैरव मंदिर में दर्शन-पूजन के बाद राजघाट पहुंचे।

यहां से क्रूज के माध्‍यम को काशी विश्‍वनाथ धाम के पास बने गंगा घाट तक पहुंचे। काल भैरव मंदिर पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने दर्शन-पूजन के साथ आरती करके देश के लिए मंगलकामना की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दो दिन के प्रवास पर बाबा भोले की नगरी को नायाब तोहफे देंगे। पीएम मोदी दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर वायुसेना के विशेष विमान से पहुंचे।

पीएम मोदी सबसे पहले काल भैरव मंदिर के दरबार में पहुंचे। जहां पीएम मोदी की नजर उतारी गई। पीएम मोदी ने विधि-विधान से महादेव का पूजन किया। काल भैरव के दरबार में पीएम मोदी की हाजिरी, महादेव से काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण की अनुमति मांगी। काल भैरव मंदिर के बाहर पीएम मोदी को लोगों ने पगड़ी भेंट की। इस दौरान पीएम मोदी की झलक पाने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। पीएम मोदी के काल भैरव मंदिर पहुंचने के साथ ही लोगों ने ‘हर-हर महादेव’ से उनका स्वागत किया।

एयरपोर्ट के एप्रन पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह , आशुतोष टंडन, मंत्री नीलकंठ तिवारी, मंत्री अनिल राजभर, सांसद बीपी सरोज, राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय, महिला शक्ति पूजा दिक्षित, विधायक अवधेश सिंह, विधायक सुरेंद्र नारायण सिंह, विधायक सौरभ श्रीवास्तव, मेयर मृदुला जायसवाल, लक्ष्मण आचार्य, विधायक रविन्द्र जायसवाल, जिलापंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्या,जिला अध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा सहित अन्य भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उनकी अगवानी की। लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने पीएम मोदी का स्वागत किया। इसके साथ ही भगवा अंगवस्त्र भी दिया। एयरपोर्ट से पीएम मोदी का काफिला काल भैरव मंदिर के लिए रवाना हो गया।

उसके बाद प्रधानमंत्री 10:30 बजे वाराणसी एयरपोर्ट से सड़क मार्ग से शहर के लिए प्रस्थान कर गए। प्रधानमंत्री सड़क मार्ग से कालभैरव मंदिर जाएंगे। प्रधानमंत्री को वाराणसी एयरपोर्ट से हेलीकाप्टर से जाना था, लेकिन एकाएक प्रोटोकाल में परिवर्तन किया गया।

वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परियोजना क्षेत्र 5 लाख वर्ग फुट में फैला हुआ है, जबकि पहले का परिसर सिर्फ 3000 वर्ग फुट तक सीमित था। इसमें 23 नए भवनों के निर्माण से तीर्थयात्रियों और भक्तों को अनेक सुविधाएं प्राप्त होंगी। इस कार्य के दौरान 300 से अधिक संपत्तियों का सौहार्द्रपूर्ण अधिग्रहण और परियोजना को मुकदमेबाजी से मुक्त बनाने के पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सबको साथ लेकर चलने का दृष्टिकोण है। यहां पर 40 से अधिक प्राचीन मंदिरों को फिर से खोजा गया, उनका जीर्णोद्धार किया गया और उनका सौंदर्यीकरण किया गया।

विहंगम योग संस्थान के वार्षिकोत्सव को संबोधित करेंगे पीएम

प्रधानमंत्री सोमवार की रात बनारस रेल इंजन कारखाना(बरेका) गेस्ट हाउस में विश्राम के बाद मंगलवार सुबह 10 बजे से मुख्यमंत्रियों के साथ करीब ढाई घंटे की बैठक करेंगे। दोपहर में चौबेपुर के उमरहा स्थित स्वर्वेद महामंदिर जाएंगे, जहां विहंगम योग संस्थान के वार्षिकोत्सव को संबोधित करेंगे। दो दिवसीय प्रवास के बाद शाम पांच बजे दिल्ली के लिए प्रस्थान कर जाएंगे।


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