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Kashi Vidyapeeth Centenary Celebration : 150 कठपुतली के माध्यमों से मोहन से महात्मा तक की यात्रा का वर्णन

काशी विद्यापीठ के सात दिवसीय शताब्दी वर्ष समारोह के पहले दिन बुधवार को महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित मोहन से महात्मा नामक कठपुतली नाटक का मंचन किया गया। 150 कठपुतली के माध्यमों से बापू के बचपन से लगायत मृत्यु यानी राजघाट तक की यात्रा का बखूबी दर्शाया गया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 10 Feb 2021 10:27 PM (IST)Updated: Wed, 10 Feb 2021 10:27 PM (IST)
Kashi Vidyapeeth Centenary Celebration : 150 कठपुतली के माध्यमों से मोहन से महात्मा तक की यात्रा का वर्णन
150 कठपुतली के माध्यमों से बापू के बचपन से लगायत मृत्यु यानी राजघाट तक की यात्रा का बखूबी दर्शाया गया।

वाराणसी, जेएनएन।  महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के सात दिवसीय शताब्दी वर्ष समारोह के पहले दिन बुधवार को द्वितीय सत्र में महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित 'मोहन से महात्मा नामक कठपुतली नाटक का मंचन किया गया। 150 कठपुतली के माध्यमों से बापू के बचपन से लगायत मृत्यु यानी राजघाट तक की यात्रा का बखूबी दर्शाया गया।  परिसर स्थित गांधी अध्ययनपीठ सभागार में आयोजित द्वितीय सत्र के समारोह का उद्घाटन जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय (बलिया) के पूर्व कुलपति प्रो. योगेंद्र सिंह ने किया।

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बीएचयू, आइआइटी की पंजीकृत ट्रस्ट क्रिएटिव पपेट थिएटर की ओर से मोहन से महात्मा नामक कठपुतली नृत्य के माध्यम से इंग्लैंड जाने वक्त मां को दिए वचन, रंगभेद, गांधी जी को पत्र लिखते, गांधी-नेहरू के बीच बातचीत, गांधी जी की बकरी, चंपारण आंदोलन, सत्याग्रह, नमक आंदोलन, डांडी मार्च, करो या मरो आंदोलन, जेल यात्रा,  स्वदेशी आंदोलन, चरखे का महत्व, आजादी का दृश्य व उनके निधन तक के फिल्माया गया।  'मोहन से महात्मा नामक कठपुतली नाटक का निर्देशन मिथिलेश दुबे ने किया है। वहीं कलाकारों में अनिल कुमार, सूरज कुमार, पंकज कुमार, विशाल कुमार, स्वप्नशील शामिल थे। संचालन डा. दुर्गेश कुमार उपाध्याय व धन्यवाद ज्ञापन डा. मुकेश कुमार पंथ ने किया।

15 राज्यों में 11 हजार शो

 मोहन से महात्मा नामक कठपुतली नाटक का निर्देशक मिथिलेश दुबे ने बताया कि अब तक 15 राज्यों में 11 हजार से अधिक कठपुतली शो का प्रदर्शन किया जा चुका है। इसकी शुरूआत वर्ष 2006 से की गई थी। इसका उद्देश्य महात्मा गांधी के संदेश को जन-जन तक पहुंचाना है।

काशी  विद्यापीठ में चौरी-चौरा जेल

काशी विद्यापीठ के शताब्दी समारोह के तहत ललित कला विभाग में आयोजित कला मेले में करीब 15 फीट ऊंची चौरी-चौरा जेल बनाई है। गंगापुर परिसर के बीएफए के विद्यार्थी बुधवार की देरशाम तक जेल को मूर्त रूप देने में जुटे रहे। वहीं दूसरी ओर सेल्फी लेने वाले विद्यार्थियों की भी होड़ मची रही।

मेले में दिखेगा कछुआ

ललित कला विभाग में आयोजित पांच दिवसीय कला मेले में कछुआ भी धूप लेते दिखाई देगा। विद्यापीठ के पूर्व छात्र रिपुजंय ने इसे पानी की बोतल तथा अन्य वेस्ट मेटिरियल से बनाया है। कलाकार ने यह संदेश देने की कोशिश की, कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम लागू होने के बाद कछुए भी स्वतंत्र महसूस कर रहे है। यही नहीं पानी से बाहर निकल कर धूप ले रहे हैं।

मेले में आदिवासी संस्कृति की झलक

ललित कला विभाग में लगने वाला हस्तशिल्प मेला में जहां 'मेक इन बनारस की झलक  देखने को मिलेगी। वहीं दूसरी ओर आदिवासियों की संस्कृति की भी झलक दिखाई देगी।


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