काशी विद्यापीठ व संविवि को शासन की गाइडलाइन का इंतजार, परीक्षा की नई तिथि होगी घोषित
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय उदय प्रताप कालेज अग्रसेन कन्या पीजी कालेज शासन की गाइड लाइन जारी होने के बाद परीक्षा की नई तिथि घोषित करेंगे।
वाराणसी, जेएनएन। विश्वविद्यालयों में स्नातक व स्नातकोत्तर की परीक्षाओं की तिथि को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए विश्वविद्यालय टाइम टेबल जारी करने से कतरा रहे हैं। उन्हें शासन की गाइडलाइन का इंतजार है। अब शासन की गाइड लाइन जारी होने के बाद ही महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, उदय प्रताप स्वायत्तशासी कालेज, अग्रसेन कन्या पीजी कालेज परीक्षा की नई तिथि घोषित करेगा।
काशी विद्यापीठ ने स्नातक की शेष वार्षिक परीक्षाएं व स्नातकोत्तर सेमेस्टर की परीक्षाएं पहली जुलाई से शुरू करने पर विचार कर रहा था। विश्वविद्यालय की मंशा 15 दिनों के भीतर सभी परीक्षाएं कराने की थी। इसकी तैयारी भी शुरू कर दी गई थी। हालांकि बाद में विश्वविद्यालय प्रशासन ने कदम पीछे खींच लिया। कुलपति प्रो. टीएन सिंह ने बताया कि सूबे के सभी विश्वविद्यालय में एकरूपता बनी रहे। इसके लिए शासन की गाइड लाइन का इंतजार किया जा रहा है। शासन की कोई गाइड लाइन आने के बाद ही परीक्षा की तिथि घोषित की जाएगी। उधर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने 15 जून से परीक्षा कराने का निर्णय लिया था। हालांकि बाद में परीक्षाएं स्थगित कर दी गईं। इसी प्रकार संस्कृत बोर्ड के मध्यमा स्तर की परीक्षाएं भी फंसी हुई हैं।
टाइम टेबल जारी, फिर भी परीक्षा को लेकर ऊहापोह
सीबीएसई व सीआइएससीई की शेष परीक्षाओं को लेकर भी ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। हालांकि दोनों बोर्ड शेष परीक्षा पहली जुलाई से कराने के लिए टाइम टेबल भी जारी कर चुके हैं। वहीं विरोध को देखते हुए काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एक्जामिनेशन ने 10वीं व 12वीं की शेष परीक्षा में शामिल होने न होने का विकल्प परीक्षार्थियों के अभिभावकों पर छोड़ दिया है। यदि परीक्षार्थी बोर्ड की परीक्षा में नहीं शामिल होते हैं तो उन्हें प्री-बोर्ड के अंकों के आधार पर शेष परीक्षा में औसत अंक प्रदान कर दिया जाएगा। इसी फार्मूले पर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद भी विचार कर रही है।
औसत अंक के लिए परीक्षार्थी तैयार नहीं
सीबीएसई व सीआइएससीई के ज्यादातर विद्यार्थियों ने प्री-बोर्ड को गंभीरता से नहीं लिया था। कुछ परीक्षार्थी ने तो प्री-बोर्ड का एक-दो पेपर ही छोड़ दिया था। वहीं संबंधित विद्यालयों में शिक्षकों ने भी प्री-बोर्ड में परीक्षार्थियों को काफी कंजूसी से अंक दिया था। इसे देखते हुए ज्यादातर परीक्षार्थी प्री-बोर्ड के अंकों के आधार पर शेष परीक्षा में औसत अंक नहीं चाहते हैं।