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Karwa Chauth 2020 : करवा चाैथ व्रत का नियम और मान्‍यता के साथ जानें व्रत का पारंपरिक विधान

पौराणिक मान्यता के अनुसार देवी देवता की पूजा अर्चना करने के साथ व्रत रखने की विशेष महत्ता है। हिंदू धर्म में कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ (करक चतुर्थी) का व्रत रखा जाता है करवा चौथ व्रत से विशिष्ट कामना की पूर्ति होती है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 12:01 PM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 04:25 PM (IST)
Karwa Chauth 2020 : करवा चाैथ व्रत का नियम और मान्‍यता के साथ जानें व्रत का पारंपरिक विधान
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ व्रत से विशिष्ट कामना की पूर्ति होती है।

वाराणसी, जेएनएन। हिंदू सनातन धर्म में पौराणिक मान्यता के अनुसार देवी देवता की पूजा अर्चना करने के साथ व्रत रखने की विशेष महत्ता है। हिंदू धर्म में कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ (करक चतुर्थी) का व्रत रखा जाता है करवा चौथ व्रत से विशिष्ट कामना की पूर्ति होती है। यह सुहागिन महिलाओं का अत्यधिक लोकप्रिय व्रत माना गया है। इसके लिए बाजार सजने लगे हैं और श्रृंगार सामग्री की दुकानें भी सज धज कर तैयार हैं।

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यह व्रत हर्ष उल्लास व उमंग के साथ अपने पति की दीर्घायु की कामना के साथ रखा जाता है। ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि इस बार यह व्रत बुधवार 4 नवंबर को रखा जाएगा। करवा चौथ व्रत की पूजा चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी में की जाती है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि मंगलवार 3 नवंबर को अर्धरात्रि के बाद 3:25 पर लगेगी जो अगले दिन बुधवार 4 नवंबर को रात्रि के बाद 5:15 तक रहेगी। चंद्र राशि 7:57 पर होगा।

व्रत रखने का विधान

महिलाएं प्रातः काल सभी दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर अपने देवी देवता की आराधना के पश्चात अखंड सौभाग्य मान प्रतिष्ठा सुख समृद्धि खुशहाली एवं पति की दीर्घायु के लिए करवा चौथ के व्रत का संकल्प लेती हैं। विमल जैन ने बताया कि सौभाग्यवती महिलाएं कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन सुख समृद्धि के लिए भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान श्री गणेश एवं श्री कार्तिकेय जी की पूजा अर्चना करती हैं। करवा चौथ से संबंधित वामन पुराण में वर्णित कथा का श्रवण करने का विधान है। पूजा में करवा जो कि सोना चांदी पीतल या मिट्टी का होता है उसमें जल भरकर सौभाग्य व श्रृंगार की समस्त वस्तुएं थाली में सजाकर रखी जाती हैं।

परंपराओं का निर्वहन

व्रती महिलाएं अपने पारिवारिक परंपरा व धार्मिक विधि-विधान के अनुसार रात्रि में चंद्र उदय होने के पश्चात चंद्रमा को अर्ध्य देकर उनकी पूजा-अर्चना करती हैं। चंद्रमा को चलनी से देखकर उनकी आरती उतारती हैं। घर परिवार में उपस्थित सास, ससुर, जेठ एवं अन्य श्रेष्ठ जनों को उपहार देकर उनसे आशीर्वाद लेती हैं। साथ ही सुहाग की समस्त सामग्री के साथ सुहागिन वस्तुओं को देकर उनका चरण स्पर्श कर खुशहाल जीवन का आशीर्वाद लेती हैं। अपने खुशहाल जीवन के लिए तथा पति पत्नी के रिश्ते को और अधिक प्रगाढ़ बनाने के लिए करवा चौथ का व्रत विशेष लाभदायी बताया गया है। करवा चौथ के पर्व को अधिक खुशनुमा बनाने के लिए राशियों के रंग के मुताबिक महिलाएं परिधान धारण करें तो सौभाग्य में वृद्धि तो होगी ही साथ ही उनको अन्य लाभ भी मिलेगा सामान्यता सुनहरा पीला और लाल रंग के परिधान धारण करना शुभ माना गया है। लाल रंग से ऊष्मा ऊर्जा का संचार होता है वहीं सुनहरी पीले रंगों से जीवन में प्रसन्नता मिलती है। आजकल राशि के अनुसार आभूषण धारण करने का प्रचलन बढ़ गया है।


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