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गाइडलाइन के अनुपालन संग संत-समाज कांवर यात्रा के लिए तैयार, कोर्ट के आदेश का इंतजार

कोरोना महामारी के बीच कांवड़ यात्रा को लेकर असमंजस अभी तक बना हुआ है। इधर काशी के संत-समाज का सीधा कहना है कि आध्यात्मिक चिंतन और मनन से महामारी के दौरान व्यक्ति के सोच और विचार में सकारात्मक बदलाव आता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 16 Jul 2021 09:50 PM (IST)Updated: Fri, 16 Jul 2021 09:50 PM (IST)
कोरोना महामारी के बीच कांवर यात्रा को लेकर असमंजस अभी तक बना हुआ है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। Kanwar Yatra 2021 कोरोना महामारी के बीच कांवर यात्रा को लेकर असमंजस अभी तक बना हुआ है। इधर काशी के संत-समाज का सीधा कहना है कि आध्यात्मिक चिंतन और मनन से महामारी के दौरान व्यक्ति के सोच और विचार में सकारात्मक बदलाव आता है। हम उच्चत्म न्यायालय का सम्मान करते हैं। प्रदेश सरकार यदि कांवर यात्रा के लिए कोई गाइड लाइन बनाती है तो हम उसका अनुपालन करने के लिए तैयार हैं। इस दृष्टिकोण से हमें कांवर यात्रा करने की इजाजत मिलनी चाहिए।

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शुक्रवार को प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी है कि प्रदेश में कांवर यात्रा पूरी तरह प्रतिबंधित नहीं रहेगी। कुछ शर्तों के साथ सांकेतिक रूप से कांवर यात्रा जारी रहेगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार से कहा कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करे। अब सोमवार को  प्रदेश सरकार को जवाब देना है।

क्या कहते हैं संत

हिंदू धर्म के त्योहारों पर सुप्रीम कोर्ट बहुत जल्दी निर्णय लेता है। किसान आंदोलन, बंगाल चुनाव, यूपी पंचायत चुनाव के समय सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान क्यों नहीं लिया। हम कोरोना की गाइडलाइन का अनुपालन करने के साथ कांवड़ यात्रा करने को तैयार हैं। इसमें हर्ज क्या है।

- महंत बालक दास

सरकार कांवर यात्रा को लेकर जो भी नियम बनाएगी उसका पालन संत समाज करने को तैयार है। धर्म-ध्यान, चिंतन-मनन से मनुष्य की अंतरआत्मा में सकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं। हम पूर्व के वर्षों की तरह झूंड में यात्रा नहीं निकालेंगे। लेकिन हमारे यात्रा पर रोक न लगाई जाए।

- महंत संतोष दास

हिंदू त्योहारों के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट स्वत: बहुत जल्दी संज्ञान ले लेता है। फिर अन्य मामलों में इतनी देरी क्यों करता है। इस कारण हमें सोचने पर मजबूर होना पड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के इस व्यवहार से हिंदू समाज में कोर्ट को लेकर एक धारणा बन रही है। इस पर कोर्ट को विचार करना चाहिए। जिससे कि हिंदू समाज अपनी धारणा को बदल सके।

- स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती


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