Kangaroo Mother Care : नवजात का हाईपोथर्मिया से बचाव के लिये वरदान है कंगारू मदर केयर
डॉ. एस पी सिंह ने बताया कि केएमसी तकनीक खासतौर से कम वजन के बच्चों और ऐसे बच्चे जिन्हें संक्रमण की आशंका होती है उन्हें दी जाती है। प्री-मैच्योर डिलेवरी के दौरान जन्म लेने वाले कमजोर बच्चों को इससे स्वस्थ रखा जा सकता है।
वाराणसी, जेएनएन। समय से पूर्व जन्मे नवजात यानि प्री-मेच्योर बेबी को बेहतर स्वास्थ्य और बीमारियों से बचाने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है। इसी क्रम में नवजात शिशु देखभाल सप्ताह मनाया जा रहा है। केएमसी यानी कंगारू मदर केयर के जरिये प्री-मेच्योर शिशुओं को हाईपोथर्मिया (शरीर का ठंडा पड़ना) से बचाया जा सकता है। इससे शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सकती है। कबीर चौरा स्थित मंडलीय चिकित्सालय के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एस पी सिंह ने बताया कि नवजात शिशुओं में तय समय से पहले जन्म और जन्म के समय वजन कम होना अक्सर देखा जाता है। यह शिशु सामान्य शिशु की तुलना में ज्यादा कोमल और कमजोर होते हैं और उन्हें कई तरह की बीमारियां होने का भी खतरा बना रहता है। ऐसे शिशुओं को गहन देखभाल की जरूरत होती है जिसे कंगारू मदर केयर विधि से किया जा सकता है। इस तकनीक में नवजात शिशु (बगैर कपड़े के साथ) को मां के सीने पर कंगारू की तरह चिपकाकर लिटाया जाता है, ताकि शिशु को मां के शरीर की गर्माहट मिल सके। इसमें शिशु के हाथ-पैर व पीठ को साफ कपड़ों से ढकना चाहिए। इसमें शिशु को गर्माहट मिलती है और तापमान का संतुलन बना रहता है।
डॉ. एस पी सिंह ने बताया कि केएमसी तकनीक खासतौर से कम वजन के बच्चों और ऐसे बच्चे जिन्हें संक्रमण की आशंका होती है, उन्हें दी जाती है। प्री-मैच्योर डिलेवरी के दौरान जन्म लेने वाले कमजोर बच्चों को इससे स्वस्थ रखा जा सकता है। समय-समय पर डॉक्टर और नर्स द्वारा निर्देश दिये जाते रहते हैं और उनके निर्देशानुसार धात्री शिशु को सीने से चिपकाकर रखती हैं। इससे उनके बच्चों और स्वयं को भी लाभ प्राप्त होता है।
केएमसी के फायदे - डॉ. एस पी सिंह ने बताया कि केएमसी विधि से शिशु और मांं दोनों को कई तरह के फायदे होते हैं जैसे शिशु का तापमान सही रहता है। वह इंफेक्शन से भी दूर रहता है। इससे शिशु और मां के बीच का रिश्ता मजबूत होता है। स्तनपान बेहतर होता है। कंगारू मदर देखभाल सिर्फ मां की ही नहीं बल्कि परिवार का कोई भी सदस्य दे सकता है। जब शिशु का वजन 2.5 किलो तक हो जाए तो केएमसी बंद कर सकते हैं। इसके अलावा जब भी मां बच्चे को केएमसी देने की कोशिश करे ओर बच्चा रोने लगे, असुविधा महसूस करे तब समझें कि केएमसी बंद करने का समय आ गया है। इस दौरान शिशु का स्तनपान जारी रखें। केएमसी से बच्चे का वजन बढ़ता है। हॉस्पिटल से जल्दी छुटटी मिल जाती है।