चीन के कब्जे में मौजूद कैलाश मानसरोवर पुनः भारत का हिस्सा बने : गोविंदाचार्य
गोविंदाचार्य ने रविवार को चौक स्थित पियरी के वेद भवन में जनसंवाद के दौरान कहा कि कैलाश मानसरोवर पुनः भारत का हिस्सा बने इसके प्रयास होने चाहिए।
वाराणसी, जेएनएन। देश के ख्यात चिंतक-विचारक गोविंदाचार्य ने रविवार को चौक स्थित पियरी के वेद भवन में जनसंवाद के दौरान कहा कि कैलाश मानसरोवर पुनः भारत का हिस्सा बने इसके प्रयास होने चाहिए। उन्होंने विकास नीतियों को मानव केंद्रित की बजाय प्रकृति केंद्रित बनाने पर बल दिया। गोविंदाचार्य ने समाज में तकनीक के बढ़ते दुष्प्रभावों को रोकने के लिए ढांचा बनाने की जरूरत बतायी। गोविंदाचार्य, वेद भवन में आयोजित संवाद में चर्चा कर रहे थे। संवाद का आयोजन श्री काशी विश्वनाथ मुक्ति महापरिषद ने किया।
गोविंदाचार्य ने बताया कि यात्रा के दौरान उन्होंने कैलाश मानसरोवर को पुनः भारत में शामिल करने का संकल्प लिया है। शेष जीवन इसके लिए प्रयास करूंगा। समाज और सरकार को भी इस दिशा में प्रयास करना चाहिए। यह भारत के स्वाभिमान का प्रश्न है। वैश्वीकरण की चर्चा करते हुए गोविंदाचार्य ने कहा कि वैश्वीकरण भारत ही नहीं दुनिया के लिए उपयुक्त नहीं है यह पिछले ढाई दशकों में स्पष्ट हो गया है। इससे बाजारवाद बढ़ा है समाज पीछे चला गया है। बाजार ने मानव को प्रमुखता दी है प्रकृति का शोषण बढ़ा है। उन्होंने कहा कि समाज, राज सत्ता और अर्थ सत्ता से ज्यादा व्यापक है। हमें समाज के उस व्यापकता को ही केंद्र में रहकर प्रकृति केन्द्रित नीतियां बनाने की जरूरत है।
गोविंदाचार्य ने समाज और राजनीति में तकनीकी, विशेष रूप से संचार तकनीक के बढ़ते दुष्प्रभावों को रेखांकित करते हुए कहा कि यह भष्मासुर हो गया है। इस पर नियंत्रण के लिए कोई नियामक ढांचा बनाने की जरूरत है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ. मृदुल मिश्र और सत्यशील चतुर्वेदी ने अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। राम नाम आर्ट की कलाकार शालिनी मिश्र ने गोविंदाचार्य को राम नाम से बनायी भगवान शंकर का चित्र भेंट किया। नमामि गंगे से जुड़े राजेश शुक्ल ने अंगवस्त्रम भेंट किया। कार्यक्रम में अनिल शास्त्री, अनिल पाल, अनिल केशरी सहित सैकड़ों लोग शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुरलीधर अग्रहरि जी ने की। संचालन श्री सोहनलाल आर्य ने किया। धन्यवाद शिवकुमार शुक्ल ने किया।