कबीरचौरा महोत्सव 2021 : वाराणसी में कबीर दास की हाईटेक झोपड़ी का छत्तीसगढ़ के विधानसभा अध्यक्ष ने किया लोकार्पण
कबीरदास छह सौ साल पूर्व थे आज भी हैं और आज के छह हजार साल बाद भी रहेंगे। यह बातें छत्तीसगढ़ राज्य के विधानसभा अध्यक्ष चरनदास महंत ने कही। वह बुधवार को कबीरचौरा महोत्सव वाराणसी में मूलगादी मठ पर कबीर झोपड़ी का लोकार्पण करने पहुंचे थे।
वाराणसी, जेएनएन। सद्गुरु संत कबीर ने समाज में मानव मात्र की चेतना का क्रांतिघोष किया था। रुढिय़ों, अंधविश्वासों पर प्रहार कर मनुष्य को सहज भाव से ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग बताया। संत कबीर हर युग में प्रासंगिक रहेंगे। वह छह सौ साल पूर्व थे, आज भी हैं और आज के छह हजार साल बाद भी रहेंगे। यह बातें छत्तीसगढ़ राज्य के विधानसभा अध्यक्ष चरनदास महंत ने कही। वह बुधवार को कबीरचौरा महोत्सव में मूलगादी मठ पर कबीर झोपड़ी का लोकार्पण करने पहुंचे थे।
दोपहर बाद विधानसभा अध्यक्ष चरनदास महंत सपत्नीक ज्योत्सना महंत मूलगादी मठ पहुंचे तो स्वकर्म संस्थान के लोगों ने उनका स्वागत किया। मठ के महंत आचार्य विवेकदास से आशीर्वाद लेने के उपरांत उन्होंने कबीर झोपड़ी का उद्घाटन किया। कहा कि इस मठ के कण-कण में संत कबीर के तप-साधना की आध्यात्मिकता का प्रकाश समाया हुआ है। यह अपने आप में एक विशिष्ट तीर्थ है। यहां आकर वे स्वयं को धन्य महसूस कर रहे हैं। कबीर पर और भी काम होना चाहिए। उन्होंने आजीवन गरीबों, दलितों, श्रमजीवियों की बात की। कर्म को महत्ता दी। उनकी झोपड़ी उनके जीवन-दर्शन को समाज के सामने एक सीख के रूप स्थापित करेगी। इस मौके पर मठ के महंत आचार्य विवेकदास, स्वकर्म संस्थान के सचिव डा. रवींद्र सहाय, उपाध्यक्ष डा. उत्तमा दीक्षित, प्रमोददास, रवि आदि समेत बहुत से संत-साधकगण उपस्थित थे।
तूलिका से कैनवस पर उतरी कबीर की बानी, कलाकार सम्मानित
संत कबीर की साधनास्थली मूलगादी में चल रहे कबीरचौरा महोत्सव में मंगलवार से चल रही दो दिवसीय राष्ट्रीय चित्रकला कार्यशाला में कुल तीन दर्जन कलाकारों ने प्रतिभाग करते हुए कबीर की बानी, साखी-सबद-रमैनी को तूलिकाओं के माध्यम से जो भाव दिए कि देखने वाले रंग-विभोर हो उठे। गुरुवार को कार्यशाला समापन के अवसर पर उन्हें छत्तीसगढ़ के विधानसभा अध्यक्ष चरनदास महंत ने प्रमाणपत्र प्रदान कर सम्मानित किया।
कार्यशाला की संयोजक काशी हिंदू विश्वविद्यालय चित्रकला विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डा. उत्तमा दीक्षित ने बताया कि कार्यशाला का उद्देश्य कबीर के दोहे तथा उनके दर्शन को चित्रों के माध्यम से उकेर सहज भाव से दर्शकों के हृदय तक पहुंचा देना है। आज कबीर विश्व की जरूरत हैं, उनकी बानियां युगों-युगों तक मानवता का पथ-प्रदर्शन करती रहेंगी। बताया कि कबीर को समझना और उन्हेंं उकेरना कबीरत्व को प्राप्त होने की दशा है। उधर कलाकार भी कबीर-दर्शन के भावों में डूब उन्हेंं चित्ररूप देते हुए कबीर के साथ संपूर्णता में समरूप होते दिखे।