कोरोना काल में ऑनलाइन क्लास में घंटे कम होने से जूनियर्स खुश, सीनियर्स चिंतित
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नई गाइडलाइन जारी की है। इसके तहत अब विद्यालय एक दिन में अधिकतम तीन घंटे ही ऑनलाइन क्लास ले सकेंगे।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना संकटकाल में विद्यार्थियों से जुड़े मसले का संज्ञान लेते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नई गाइडलाइन जारी की है। इसके तहत अब विद्यालय एक दिन में अधिकतम तीन घंटे ही ऑनलाइन क्लास ले सकेंगे। यह न केवल छात्रों के लिए बल्कि अभिभावकों के लिए राहत भरा निर्णय है। इस वैश्विक महामारी में स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाई का विकल्प चुना, ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित किया जा सके। हालांकि कई विद्यालयों ने अति कर दी थी। पांच से छह घंटे तक ऑनलाइन क्लासेज चलाने लगे थे, जिसका बच्चों के मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था। एक ओर जहां अभिभावकों में खुशी है, तो वहीं इस बात की चिंता भी है कि प्रतिदिन तीन घंटे के ऑनलाइन क्लास में कोर्स कैसे पूरा होगा।
कक्षा आठ तक के लिए है ठीक
शिक्षक एसजी जिलानी का कहना है कि नई गाइडलाइन कक्षा आठ तक के बच्चों के लिहाज से ठीक है। मगर नौ से लेकर 12वीं तक के सेलेबस इस समयावधि में मुकम्मल कराना मुश्किल होगा। अभी तक चार क्लास ही चलाए जा रहे थे। 45 मिनट के ऑनलाइन क्लास में पांच से दस मिनट छात्रों को जोडऩे में लग जाते हैं। इस तरह एक क्लास को अधिकतम 30 मिनट ही मिल पाता है।
लर्निंग आउटकम पर पड़ रहा फर्क
बीएचयू के स्टूडेंट काउंसलर नित्यानंद तिवारी का कहना है कि ऑनलाइन व सामान्य क्लास में काफी अंतर है। कक्षा में जहां किताबों से पढ़ाई करने के बाद छात्र सहपाठियों से उस पर परिचर्चा करते हैं और सीखते हैं। वहीं ऑनलाइन क्लास में वे स्वयं सीख रहे और, स्वयं समझ रहे। कुल मिलाकर कहा जाए तो सामान्य कक्षा के मुकाबले बोझिल ऑनलाइन क्लास के आउटकम बेहतर नहीं मिल पा रहे हैं। ऑनलाइन पढ़ाई के घंटे कम होने से छात्र विषय पर केंद्रित होकर बेहतर परिणाम दे सकेंगे।
बच्चे की रहती थी चिंता
अभिभावक धीरज चौबे का कहना है कि संकट के इस समय में ऑनलाइन कक्षाएं सुरक्षित विकल्प हैं। बावजूद इसके बेटे को देर तक मोबाइल पर पढ़ाई करते देख मुझे उसके स्वास्थ्य की, उसके आंखों की चिंता रहा करती थी। ऑनलाइन क्लास की अवधि कम होने से अब यह फिक्र भी अब दूर हो गई है।