किरायेदारी का नहीं चलेगा फंडा, विद्यालय की मान्यता लेना अब नहीं रहा गया आसान
अब बेसिक शिक्षा परिषद से जूनियर हाईस्कूल स्तर के विद्यालय मान्यता लेना आसान नहीं होगा। मान्यता के लिए परिषद ने किरायेदारी प्रथा समाप्त कर दी है।
वाराणसी, जेएनएन। अब बेसिक शिक्षा परिषद से जूनियर हाईस्कूल स्तर के विद्यालय मान्यता लेना आसान नहीं होगा। मान्यता के लिए परिषद ने किरायेदारी प्रथा समाप्त कर दी है। अब विद्यालय सोसाइटी के नाम से भूमि-भवन होने की ही परिषद मान्यता स्वीकृति प्रदान करेगा। पहले रजिस्टर्ड किरायेदारी पर भी विद्यालयों को मान्यता मिल जाती थी। अब यह फंडा नहीं चलेगा। हिंदी व अंग्रेजी माध्यम से मान्यता प्राप्त करने के लिए शासन ने मानक कड़ा कर दिया है। वर्तमान सत्र से विद्यालयों की मान्यता लेने के लिए खेल का मैदान अनिवार्य कर दिया गया है।
यही नहीं आवेदन शुल्क पांच व सुरक्षित कोष में चार गुना वृद्धि कर दी गई है। पहले कक्षा एक से पांच तक के विद्यालय की मान्यता के लिए दो हजार व कक्षा एक से आठ के लिए तीन हजार रुपये शुल्क लगता था। अब प्राइमरी सेक्शन की मान्यता के लिए दस हजार व जूनियर सेक्शन के लिए 15,000 रुपये शुल्क जमा करना होगा। वहीं कक्षा पांच तक के लिए सुरक्षित (प्रतिभूति) कोष एक लाख व आठ तक के लिए डेढ़ लाख कर दिया गया है। जबकि पहले सुरक्षित कोष के रूप में दस हजार व 25000 रुपये जमा करना होता था। बढ़ी हुई शुल्क वर्तमान सत्र से लागू हो गया है। ऐसे में अब पूंजीपति ही विद्यालयों का संचालन कर सकते हैं।
आवेदन पत्र का वितरण शुरू : बीएसए जय सिंह ने बताया कि नए सत्र में मान्यता के लिए आवेदन पत्र एक अप्रैल से 30 सितंबर तक किए जा सकते हैं। एक हजार रुपये विलंब शुल्क के साथ 31 अक्टूबर तक आवेदन जमा करने का मौका है। वहीं शासन ने अब मान्यता समिति की बैठक अब हर माह बुलाने का निर्देश दिया है।
अन्य शर्ते : अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों को भी अनिवार्य रूप से पढ़ाना होगा हिंदी। सभी विद्यालयों में राष्ट्रगान व राष्ट्र गीत होगा अनिवार्य। परिषद द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम व किताबें ही होंगे मान्य। विद्यालय परिसर या मैदान में व्यावसायिक उपयोग प्रतिबंधित।