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वाराणसी में ओटीएस घोटाले की जांच अभियंता के गले की बनेगी फांस

कार्यालय में नए बिजली कनेक्शन के सापेक्ष 10 से 15 फीसद स्थायी विच्छेदन (पीडी) किया जाता है। पीडी को लेकर बिजली विभाग के अभियंता हमेशा सवालों में रहे हैं। इसको लेकर जांच होने के साथ कार्रवाई तक हुई है लेकिन यह सिलसिला कभी बंद नहीं हुआ है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 11:41 AM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 11:41 AM (IST)
वाराणसी में ओटीएस घोटाले की जांच अभियंता के गले की बनेगी फांस
कार्यालय में नए बिजली कनेक्शन के सापेक्ष 10 से 15 फीसद स्थायी विच्छेदन (पीडी) किया जाता है।

वाराणसी,जागरण संवाददाता। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन में बिजली बिल संशोधन और कम करने के नाम पर खेल पुराना है। यहां एक लाख का बिल दस हजार रुपये में बड़े आसानी से निपट जाता है। छोटे साहब और बड़े साहब की सहमति होनी चाहिए। यदि बड़े साहब और छोटे साहब एक हो गए तो कार्यालय में कोई काम असंभव नहीं है। देखा जाए तो कार्यालय में नए बिजली कनेक्शन के सापेक्ष 10 से 15 फीसद स्थायी विच्छेदन (पीडी) किया जाता है। पीडी को लेकर बिजली विभाग के अभियंता हमेशा सवालों में रहे हैं। इसको लेकर जांच होने के साथ कार्रवाई तक हुई है लेकिन यह सिलसिला कभी बंद नहीं हुआ है।

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वहीं, दूसरा हथियार ओटीएस भी है। कुछ अभियंता तो इस योजना का इंतजार करते हैं। योजना शुरू होने के साथ बड़े से बड़ा मामला आसानी से निपट जाता है। ओटीएस में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम देवराज ने घोटाले की आशंका जताई है। गत 29 नवंबर को पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के अधिकारियों संग उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा की थी। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों से कहा कि योजना में पूर्वांचल डिस्काम को 66.67 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है जबकि, 76.90 करोड़ रुपये उपभोक्ताओं को छूट दी गई है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि वसूली की राशि कम और ब्याज माफी की राशि ज्यादा हो सकती है। यह आंकड़े पावर कारपोरेशन प्रबंधन को उचित नहीं लग रहा है। उन्हाेंने ओटीएस में धांधली और अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध होने पर सवाल उठाया है। सच्चाई यह है कि सही तरीके से पूरे मामले की जांच की गई तो अधिकारियों के लिए ओटीएस गले की फांस बन सकता है।

जारी की गई नोटिस, नहीं तलब हुए अधिकारी : चेयरमैन की बैठक के बाद स्थानीय अधिकारियों ने योजना से संबंधित तीनों सर्किल के अधीक्षण अभियंताओं संग समीक्षा बैठक की। इसमें पाया गया कि विद्युत वितरण खंड प्रथम में प्राप्त राजस्व 12.37 करोड़ रुपये से अधिक 16.67 करोड़ रुपये उपभोक्ताओं को छूट दी गई है। इस पर अधिकारियों ने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए। तत्कालीन मुख्य अभियंता देवेंद्र सिंह ने 29 नवंबर को (पत्रांक संख्या 5306) विद्युत वितरण खंड प्रथम के अधीक्षण अभियंता आरएस प्रसाद को नोटिस जारी करते हुए लिखा कि ओटीएस योजना में गत तीन माह में किए गए बिल संशोधन की पत्रावली लेकर दफ्तर में उपस्थित हों। नोटिस मिलने के चार दिन बाद भी अधीक्षण अभियंता मुख्य अभियंता के दफ्तर में तलब नहीं हुए। हालांकि तत्कालीन मुख्य अभियंता देवेंद्र सिंह 30 नवंबर को सेवानिवृत हो चुके हैं। उसी दिन देर शाम एमडी विद्याभूषण ने सर्वेश खरे को मुख्य अभियंता के पद पर तैनात कर दिया था।

अधिकारियों की खातिरदारी बरतेगी जांच में नरमी : विद्युत वितरण खंड प्रथम के अधीक्षण अभियंता पहले भी विवादों में रहे हैं। जांच शुरु होने के ठीक दस दिन पहले देव दीपावली पर अधीक्षण अभियंता खंड प्रथम और एक अधिशासी अभियंता की ओर से शीर्ष अधिकारियों की खातिरदारी की गई थी। इसमें करीब पांच लाख रुपये खर्च हुए थे। सभी अधिकारियों और उनके परिवार के लिए बजड़े और नावें बुक की गईं थीं। नौका विहार के साथ-साथ भोजन और जलपान का भी प्रबंध दोनों अधिकारियों ने किया था। इस पार्टी में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के कई उच्च अधिकारी भी मौजूद थे। इसका फोटो इंटरनेट मीडिया पर वायरल है। मामला उजागर होने और जांच का आदेश होने पर अब वह अपने बचने का रास्ता खोज रहे हैं। वहीं, कुछ अधिकारी-कर्मचारी अपने बचने के लिए फाइलाें को दुरस्त करने के साथ रास्ता खोज रहे हैं।

जनप्रतिनिधयों से डलवा रहे दबाव : बिजली विभाग में फर्जीवाड़ा किसी से छिपा नहीं है। आए दिन गबन, घोटाले के मामले आने पर कार्रवाई भी होती है। कुछ लोगों के खिलाफ थाने में मुकदमा दर्ज होने के साथ जांच भी चल रहे हैं। ओटीएस में राजस्व क्षति पहुंचाने और घोटाले का मामला सामने आने पर अभियंता अपने बचने के लिए जनप्रतिनिधियों से उच्च अधिकारियों पर दबाव डलवा रहे हैं लेकिन देखना है कि दबाव काम आता है या घोटाला उजागर होता है। यह आने वाला समय ही बताएगा।


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