Varanasi में असि और वरुणा नदियों के जीर्णोद्धार के लिए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ करेंगे मंथन
आइआइटी रुड़की दिल्ली कानपुर गुवाहाटी समेत एमएनएनआइटी इलाहाबाद एनआइटी पटना एमएमएमटीयू गोरखपुर बीबीएयू लखनऊ आरएमएलएयू अयोध्या और आरइसी आजमगढ़ के विशेषज्ञ और फ्रांस आस्ट्रेलिया कनाडा इजराइल थाइलैंड दक्षिण कोरिया से अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ के तौर पर विशेषज्ञ शामिल रहे।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिंदू विश्वविद्यालय) के सिविल इंजीनियरिंग विभाग और एनएमसीजी, उन्नत भारत अभियान, सीगंगा, आइसी-प्रभाव, 2030 जल संसाधन समूह (2030 डब्ल्यूआरजी) के सहयोग से शुक्रवार को एनी बेसेंट लेक्चर थियेटर में ’सहायक नदियों की बात मध्य गंगा बेसिन में वरुणा और अस्सी नदियां’ विषय पर दो दिवसीय हाइब्रिड (वर्चुअल के साथ-साथ भौतिक) मोड में द्वितीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।
इस सम्मेलन में आइआइटी रुड़की, दिल्ली, कानपुर, गुवाहाटी समेत एमएनएनआइटी इलाहाबाद, एनआइटी पटना, एमएमएमटीयू गोरखपुर, बीबीएयू लखनऊ, आरएमएलएयू अयोध्या, और आरइसी आजमगढ़ के विशेषज्ञ और फ्रांस, आस्ट्रेलिया, कनाडा, इजराइल, थाइलैंड, दक्षिण कोरिया से अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ के तौर पर विशेषज्ञ शामिल रहे। दो दिन तक चलने वाले इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में सरकारी विभागों, एनएमसीजी, स्वच्छ गंगा के लिए राज्य मिशन (एसएमसीजी), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी), राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान, जैसे एनईईआरआइ, नगर एजेंसियों जैसे मनरेगा, विभाग सहित सभी हितधारक सिंचाई, यूपी और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों को कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया गया है।
इस सम्मेलन का व्यापक सामाजिक और पर्यावरणीय उद्देश्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की सलाह लेना और वाराणसी में दो सहायक नदियों वरुणा और अस्सी नदियों के स्वास्थ्य को बहाल करने के लिए एक व्यावहारिक पाठ्यक्रम को अंतिम रूप देना है। साथ ही बड़े उद्देश्य की ओर पहले कदम के रूप में, दो घाटों- एक (शास्त्री घाट) वरुणा नदी पर और दूसरा अस्सी नदी पर (संकट मोचन घाट) का चयन किया गया है जिसे स्नान के उद्देश्य के लिए विकसित करने का प्रस्ताव है।
सम्मेलन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि वरुणा और असि नदियों में प्रमुख प्रदूषण मुद्दों की पहचान करना और कायाकल्प गतिविधियों में शामिल करना बेहद जरूरी है। इसके लिए प्रदूषण के लिए कारक महत्वपूर्ण डेटा, तथ्यों और आंकड़ों का मिलान और विश्लेषण किया जाना आवश्यक है। वक्ताओं ने कहा कि दुनिया भर में नदियों को स्वच्छ बनाने के लिए उपकरण, दृष्टिकोण के बारे में जानने के लिए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों विशेषज्ञों से विचारों/प्रस्तावों/अवधारणाओं को आमंत्रित किया जाएगा जिसे इन सहायक नदियों पर लागू किया जा सके। साथ ही नदियों के जीर्णाेद्धार के लिए नवीन और समकालीन प्रौद्योगिकियों का आकलन भी आवश्यक है।
सम्मेलन में राजीव रंजन, महानिदेशक एनएमसीजी, जल शक्ति मंत्रालय ने एनएमसीजी के कार्यक्रमों के बारे में बताया। प्रोफेसर हार्वे पीजे, सीएनआरएस, फ्रांस ने नदियों के स्वास्थ्य के प्रति चिंता जाहिर करते हुए एक साथ काम करने की इच्छा जताई। जीपीएस राठौर, चैयरमैन यूपीपीसीबी ने वरुणा नदी में स्वच्छता के प्रति हो रहे कार्यों के बारे में चर्चा की। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. पीके सिंह और सह संयोजक डा. अनुराग ओहरी और डा. शिशिर गौर रहे। सभी अतिथियों का स्वागत सिविल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर पीकेएस दीक्षित ने किया।