सोनभद्र क्षेत्र में खुफिया तंत्र की गड़ी निगाहें, नक्सल प्रभावित 273 गांवों से जुटाई जा रही जानकारी
बिहार मध्यप्रदेश झारखंड छत्तीसगढ़ राज्यों से घिरे सोनभद्र जिले में नक्सली वारदातों से निपटने के लिए मौजूद सीआरपीएफ को केंद्र सरकार द्वारा वापस बुला लिया गया है। इसके बाद से एक बार फिर नक्सल प्रभावित 273 गांवों में खुफिया तंत्र सक्रिय हो गया है।
सोनभद्र, जेएनएन। बिहार, मध्यप्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ राज्यों से घिरे सोनभद्र जिले में नक्सली वारदातों से निपटने के लिए मौजूद सीआरपीएफ को केंद्र सरकार द्वारा वापस बुला लिया गया है। इसके बाद से एक बार फिर नक्सल प्रभावित 273 गांवों में खुफिया तंत्र सक्रिय हो गया है। वहां की हर गतिविधियों को पुलिस रिकार्ड में दर्ज किया जा रहा है।
जिले में नब्बे के दशक में नक्सलियों ने अपनी जकड़ में ले रखा था। चार राज्यों में खासकर बिहार, छत्तीसगढ़ व झारखंड राज्य की सीमा से घुसपैठ करने वाले नक्सली बड़ी वारदातों को अंजाम देकर पुलिस को चुनौती देते रहे। प्रशासन के लिए सिरदर्द बने नक्सलियों को कुचलने के लिए केंद्र सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों जैसे कोन, नगवां, राबट््र्सगंज में सीआरपीएफ की तैनाती की थी। सीआरपीएफ ने समय-समय पर नक्सलियों के आपराधिक कार्यों पर पानी फेरने का काम किया लेकिन वर्ष 2020 के नवंबर में केंद्र सरकार ने सीआरपीएफ को हटा दिया गया। सीआरपीएफ के जाने के बाद नक्सल क्षेत्रों में सुरक्षा की कमान पूर्व की तरह पीएसी व नागरिक पुलिस को सौंप दी गई।
273 गांव खुफिया तंत्र के रडार पर
सीआरपीएफ के जाने के बाद नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कांङ्क्षबग तेज हो गई है। इन गांवों से खुफिया जानकारी भी एकत्र की जा रही है। जिसे रजिस्टर में दर्ज किया जा रहा है।
क्या-क्या जानकारी जुटा रही पुलिस
- नक्सल प्रभावित गांव में शिक्षा का स्तर
- बच्चे स्कूल जाते है या नहीं
- स्कूल न जाने का कारण
- गांव में कोई संदिग्ध व्यक्ति तो नहीं आता
- भूमि संबंधी विवाद व कारण
खुफिया तंत्र से कराई जाती है गोपनीय जांच
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की समय-समय पर पुलिस गोपनीय तरीके से जांच कराती है। सीआरपीएफ के जाने के बाद नए सिरे से नक्सल प्रभावित गांवों का ब्यौरा जुटाया जा रहा है।
- अमरेंद्र प्रसाद ङ्क्षसह, पुलिस अधीक्षक।