राशिद के गिरफ्तारी के बाद खुफिया एजेंसी सक्रिय, पाकिस्तान में बैठे आइएसआइ हैंडलर के सीधे संपर्क में था
राशिद ने बताया था कि पाकिस्तान में बैठे आइएसआइ हैंडलर के सीधे संपर्क में था और रुपयों व गिफ्ट के बदले में उनको सैन्य ठिकानों का पता फोटो व अन्य जानकारी भेजता था।
वाराणसी, जेएनएन। एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (एटीएस) और मिलिट्री इंटेलीजेंस ने ने कार्रवाई करते हुए जनवरी में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के एजेंट राशिद अहमद को पड़ाव क्षेत्र से गिरफ्तार किया था। पूछताछ में राशिद ने बताया था कि पाकिस्तान में बैठे आइएसआइ हैंडलर के सीधे संपर्क में था और रुपयों व गिफ्ट के बदले में उनको सैन्य ठिकानों का पता, फोटो व अन्य जानकारी भेजता था। साथ ही कई बार पाकिस्तान भी जा चुका है। जिसके बाद से जनपद में खुफिया एजेंसी सक्रिय हो गई है।
राशिद अहमद लंका थाना क्षेत्र के छित्तूपुर इलाके का निवासी है, लेकिन वर्तमान में चंदौली के चौरहट में रह रहा था। वह वर्ष 2018 में कराची में रहने वाली अपनी मौसी के यहां गया था। इसके बाद वहां आईएसआई के संपर्क में आया। मार्च 2019 से वह रुपयों की लालच में वाराणसी समेत महत्वपूर्ण स्थानों और सैन्य ठिकानों की तस्वीरें आईएसआई को भेजता था। एनआइए की टीम सोमवार व मंगलवार को चंदौली व वाराणसी के उन स्थानों को चिन्हित की जहां से राशिद फोटो व वीडियों भेजा करता था। साथ फ्लैक्स के दुकान मालिक दानिश से पूछताछ कर जानकारी हासिल कर लखनऊ लौट गई। इस दौरान राशिद के घर वालों से पूछताछ की गई की कितनी बार फोटो या वीडियो भेजने के बाद उसे रकम या गिफ्ट मिले हैं। कहां की फोटो भेजने के लिए पाकिस्तान में बैठे एजेंटों ने उससे कहा था। इस काम में और कितने सहयोगी भारत में सक्रिय हैं। जिसकी जानकारी जुटाने में लगी हुई है।
पाकिस्तान में शादी करना चाहता था राशिद
राशिद ने पूछताछ में बताया था कि वह वर्ष 2017 में कराची में रहने वाली अपनी मौसी के पास गया था। वहां मौसी के बेटी से प्यार हो गया और उसी से शादी करना चाहता था। उसी से मिलने पाकिस्तान जाया करता था वही आईएसआई के दो एजेंटों से मुलाकात हुई। वह उसे गोपनीय सूचनाओं के बदले में पैसा, गिफ्ट और शादी कराने का वादा किया था। जिसके बाद से वह महत्वपूर्ण स्थानों और सैन्य ठिकानों की तस्वीरें आइएसआइ को भेजना शुरू कर दिया था। आखिरी बार 13 जनवरी 2020 को उसकी पाकिस्तानी एजेंट्स से बात हुई थी। जुलाई 2019 में राशिद को पांच हजार रुपये मिले थे। जोधपुर मिलिट्री कैंप की सूचना देने पर एक लाख रुपये और 15 हजार रुपये महीने का खर्च देने की बात कही गई थी।