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काशी में मिली प्रेरणा, अब तमसा किनारे जला रहीं ज्ञानदीप, परिवार ने भी दिया साथ और बढ़ाया उत्साह

खुद उच्च शिक्षा प्राप्त करने के साथ सबको शिक्षित बनाने का सपना लेकर निकल पड़ीं सुशिक्षित समाज बनाने के अभियान पर।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 08:32 PM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 07:40 AM (IST)
काशी में मिली प्रेरणा, अब तमसा किनारे जला रहीं ज्ञानदीप, परिवार ने भी दिया साथ और बढ़ाया उत्साह
काशी में मिली प्रेरणा, अब तमसा किनारे जला रहीं ज्ञानदीप, परिवार ने भी दिया साथ और बढ़ाया उत्साह

आजमगढ़ [शक्ति शरण पंत]। खुद उच्च शिक्षा प्राप्त करने के साथ सबको शिक्षित बनाने का सपना लेकर निकल पड़ीं सुशिक्षित समाज बनाने के अभियान पर। परिवार ने साथ देेने के साथ उत्साह बढ़ाया तो सामाजिक सरोकार से जुड़ा अभियान परवान चढऩे लगा। जगह नहीं मिली तो तमसा नदी के गौरीशंकर घाट पर बने बरामदे में ही लगा दी क्लास जहां आज गरीब परिवार के कक्षा एक से लेकर कक्षा दस तक के लगभग 50 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसमें ऐसे बच्चे भी शामिल हैं जिन्हें किन्हीं कारणवश परिवार के लोग स्कूल में दाखिला नहीं करा सके अथवा जिन बच्चों के पास अतिरिक्त क्लास करने के लिए पैसे नहीं हैं।

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शहर से सटे हीरापट्टी की साक्षी पांडेय के इस अभियान में उनके साथी भी पूरा सहयोग करते हैं। काशी विद्यापीठ में बीएफए (बैचलर आफ फाइन आर्ट) द्वितीय वर्ष में पढऩे वाली साक्षी को यह प्रेरणा काशी से ही मिली। वह बताती हैं कि विद्यापीठ के पास ही एक संस्था लोगों को साक्षर बनाने में लगी थी तो उससे प्रभावित होकर उसके साथ काम करने लगीं। एक दिन मन में आया कि क्यों न अपने शहर में इस तरह का काम किया जाए। उसके बाद शहर में उन्होंने ऐसी एरिया को चिह्नित किया जहां काफी संख्या में बच्चों को उचित शिक्षा नहीं मिल पा रही थी। इस तरह के क्षेत्र में उन्होंने गौरीशंकर घाट क्षेत्र में पता किया तो जानकारी हुई कि यहां तमाम ऐसे बच्चे हैं, जो या तो स्कूल नहीं जाते अथवा जाते भी हैं तो अतिरिक्त क्लास के लिए पैसे नहीं होते। ऐसे में वे चाहकर भी अच्छा अंक नहीं ला पाते। उसके बाद इन्होंने क्षेत्र में संपर्क किया तो लोग अपने बच्चों को पढऩे के लिए भेजना शुरू कर दिए। कई बच्चे तो ऐसे हैं जिन्हें कलम पकड़कर लिखना सिखाना पड़ता है। प्रयास यहीं तक सीमित नहीं है। इस साल उन्होंने दो बच्चों का कक्षा चार व तीन बच्चों का कक्षा एक में एडमिशन कराया और स्कूल वालों से बात कर फीस भी माफ करा दी। खास बात यह है कि जिन बच्चों के पास कापी-किताब नहीं होती उन्हें अपने पास से उपलब्ध कराती हैं। समय-समय पर प्रतियोगिता आयोजित कर उनकी प्रतिभा को निखारने का प्रयास करती हैं। खुद जब बनारस में रहती हैं तब भी क्लास बंद नहीं होता, बल्कि कुछ शिक्षित युवाओं को कुछ पारिश्रमिक देकर क्लास चलवाती हैं। सुशिक्षित समाज की स्थापना के लिए चलने वाले इस अभियान में खर्च के सवाल पर साक्षी बताती हैं कि उनके भाई सीए हैं, जो इस नेक अभियान में हमेशा आर्थिक मदद करते रहते हैं। बच्चों का मन पढ़ाई में लगा रहे, यह सोचकर समय-समय पर बच्चों के बीच कुछ नया करती हैं। इस बार बाल दिवस पर साक्षी ने बच्चों के साथ केक काटकर खुशियां मनाईं।


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