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इंस्पेक्टर अनुपम ने बीएचयू की लापरवाही के खिलाफ लंका थाने में दी तहरीर, शवों की हुई थी अदला-बदली

इंस्पेक्ट अनुपम ने वाराणसी के लंका थाने पर तहरीर दिया। बीएचयू के डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही के बाद उसको छुपाने के लिए शव का अंतिम संस्कार करवाने का आरोप लगाया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 09:11 PM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 12:54 PM (IST)
इंस्पेक्टर अनुपम ने बीएचयू की लापरवाही के खिलाफ लंका थाने में दी तहरीर, शवों की हुई थी अदला-बदली
इंस्पेक्टर अनुपम ने बीएचयू की लापरवाही के खिलाफ लंका थाने में दी तहरीर, शवों की हुई थी अदला-बदली

वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू अस्पताल के कोविड 19 वार्ड में बुधवार को शवों की अदला बदली के बाद केशव चंद्र श्रीवास्तव का शव एडिशनल सीएमओ डॉ जंगबहादुर के परिजनों को दे दिया गया जिसका अंतिम संस्कार भी लोगों ने कर दिया। अपने पिता केशव चंद्र का शव लेने पहुंचे इंस्पेक्टर अनुपम श्रीवास्तव ने चेहरा देखने के बाद शव लेने से मना कर दिया। क्योंकि वह शव उनके पिता की जगह एसीएमओ का था। घटना के बाद आहत परिजनों ने हंगामा भी किया और अपने पिता के शव की मांग करने लगे। जहां बीएचयू के अधिकारी भी निरुत्तर थे।

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गुरुवार की शाम अनुपम श्रीवास्तव ने लंका थाने पर तहरीर दिया। तहरीर में उन्होंने बीएचयू के डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही के बाद उसको छुपाने के लिए शव का अंतिम संस्कार करवाने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही तहरीर में लिखा है कि कानूनी कार्रवाई करते हुए पिता का शव दिलाने की कृपा करें ताकि अंतिम संस्कार कर सकें। अनुपम ने कहा कि पुलिस विभाग में इतने समय से सेवा देने वाले परिवार का मुकदमा पंजीकृत करने से एसओ लंका ने मना कर दिया।जबकि परिवार ऐसी स्थिति में है कि आगे क्या करें ये भी नही समझ मे आ रहा। अनुपम ने कहा कि तीन भाई होते हुए भी हमलोग अंतिम दर्शन और संस्कार को तरस गए। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार पिता की मौत के बाद अंतिम क्रिया कर्म नही करने से आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है। पिता की आत्मा को कैसे मुक्ति मिले अब इस पर पूरा परिवार पत्थर जैसा हो गया है।

इंस्पेक्टर लंका मेहश पांडेय ने कहा कि तहरीर मिली है जिसकी जांच के साथ ही सीएमओ और जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेजी गई है। उच्चाधिकारियों के आदेश के बाद कार्रवाई की जाएगी। इंस्पेक्टर लंका ने कहा कि कोविड जैसे संकट में बीएचयू जैसे संस्थान और सेवा करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमा करने के पहले अधिकारियों से आदेश लेना जरूरी है।


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