दीक्षा समारोह : विश्वविद्यालयों में अब सिल्क के गाउन के स्थान पर खादी व हथकरघे से बना परिधान होगा, यूजीसी का निर्देश
विश्वविद्यालयों में अब गाउन सिल्क के स्थान पर खादी व हथकरघे का होगा। यूजीसी ने स्वतंत्रता के परिधान को दीक्षा समारोह का परिधान बनाने का निर्देश दिया है।
वाराणसी [अजय श्रीवास्तव]। विश्वविद्यालयों में अब गाउन सिल्क के स्थान पर खादी व हथकरघे का होगा। यूजीसी ने 'स्वतंत्रता' के परिधान को दीक्षा समारोह का परिधान बनाने का निर्देश दिया है। ताकि खादी व सूत कातने वालों व बुनकरों को प्रोत्साहन मिल सके।
यूजीसी के सचिव प्रो. रजनीश जैन की ओर इस संबंध में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को एक परिपत्र भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खादी के उपयोग व हथकरघा के बढ़ावा देने के लिए तमाम कदम उठा रहे हैं। केंद्र सरकार के इस प्रयास से खादी की महत्ता और बढ़ी है। अब लोग खादी व हथकरघा से बने कपड़ों का अधिक उपयोग कर रहे हैं। उन्हें महसूस हो रहा है कि खादी के कपड़े काफी आरामदायक होता है। वहीं महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष के दौरान हाथ से काते गए खादी के कपड़ों हथियार के रूप में उपयोग किया था। इसके चलते खादी को 'स्वतंत्रता की वर्दी के रूप में भी जाना जाता है। इस प्रकार खादी हमारी संस्कृति व विरासत का अभिन्न अंग भी है। खादी व हथकरघा के कपड़े का उपयोग करने से ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लाखों लोगों की आजीविका का भी अवसर मिलेगा। साथ ही संस्कृति व विरासत को भी संरक्षण मिलेगा। ऐसे में दीक्षा समारोह के अलावा अन्य विशेष अवसरों पर खादी व अन्य हथकरघा के कपड़े का परिधान उपयोग करने का यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया है ताकि खादी और सूत काटने वालों व बुनकरों को प्रोत्साहन मिल सके।
विद्यापीठ में पहले खादी का हो रहा उपयोग
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में दीक्षा समारोह में पहले से ही खादी के कपड़ों का उपयोग हो रहा है। समारोह में विद्यार्थी खादी के कपड़े से बने गाउन व गांधी टोपी पहनते हैं। वहीं संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में भारतीय परिधान में विद्यार्थी समारोह में आते हैं।