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भारतीय लूम, चरखा व बुनाई उपकरणों से रिझी दुनिया, जर्मनी के हनोवर में चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कारपेट मेला शुरू

जर्मनी के हनोवर शहर में शुक्रवार को चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कारपेट मेला डोमोटेक्स का शानदार आगाज हुआ।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 10:02 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jan 2020 11:36 PM (IST)
भारतीय लूम, चरखा व बुनाई उपकरणों से रिझी दुनिया, जर्मनी के हनोवर में चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कारपेट मेला शुरू
भारतीय लूम, चरखा व बुनाई उपकरणों से रिझी दुनिया, जर्मनी के हनोवर में चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कारपेट मेला शुरू

भदोही, जेएनएन। जर्मनी के हनोवर शहर में शुक्रवार को चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कारपेट मेला डोमोटेक्स का शानदार आगाज हुआ। वहां भारतीय पवेलियन में पीएम मोदी के चित्र वाली हैंडटफ्टेड कालोनी आकर्षण का केंद्र बनी रही। दुनिया भर से करीब 300 जबकि भारत से 156 कारपेट एक्सपोर्टर ने भागीदारी की है।

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भारतीय कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) ने देश भर से कुल 123 स्टॉल बुक कराये हैं, इसमें 90 एक्सपोर्टर भदोही व मीरजापुर परिक्षेत्र के हैं। पहले दिन भारतीय लूम, चरखा और बुनाई उपकरणों का प्रदर्शन किया गया, जर्मनी के एक्सपोर्टर ने इसे खूब पसंद भी किया है। दूसरे कई देशों से आये निर्यातक भी इसकी खूबियों के बारे में जानकारी प्राप्त करते रहे। बता दें कि भारतीय पवेलियन को देश की संस्कृति के अनुसार सजाया है। विदेशी आयातक वहां पर काफी देर तक ठहर रहे हैं।

वस्त्र मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव ने किया शुभारंभ

कालीन मेले में अधिशासी निदेशक संजय कुमार ने बताया कि शुक्रवार को जर्मनी के समय अनुसार सुबह दस बजे डोमोटेक्स का शुभारंभ किया। भारतीय पवेलियन का उद्घाटन केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय के अपर सचिव व आर्थिक सलाहकार विजय कुमार ङ्क्षसह ने किया। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न भागों में बनने वाली मखमली कालीनों की बदौलत आज विश्व में भारत को सम्मान की नजर से देखा जाता है। विश्व भर से आने वाले आयातकों की भारतीय डिजाइनें, रंगामेजी और हस्तकला आकर्षित करने में सफल होंगी। इस दौरान मदनलाल, सीईपीसी के वरिष्ठ प्रशासनिक सदस्य उमेश कुमार गुप्ता मुन्ना आदि मौजूद रहे।

जीआई को भुनाने की कोशिश : चेयरमैन

सीईपीसी के चेयरमैन सिद्धनाथ ङ्क्षसह ने बताया कि भदोही की कालीनों को भौगोलिक संकेतक (जीआई) के रूप में मान्यता मिली है। विदेशी धरती पर पहली बार इसे भुनाने का प्रयास किया जा रहा। भदोही की कालीनों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए जीआई विशेषज्ञ पद्मश्री डा. रजनीकांत भी भारतीय दल में शामिल हैं।


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