सैंकड़ों कुंतल जलेबी का अंबार लगता है मेले में, साथ में मिलती है मुफ्त सब्जी
बलिया में रानीगंज के निकट सुदिष्टपुरी में अगहन सूदी पंचमी एक महीने तक चलने वाले ऐतिहासिक सुदिष्ट बाबा मेले में सब्जी संग जलेबी खाने की है परंपरा।
बलिया, जेएनएन। रानीगंज के निकट सुदिष्टपुरी में अगहन सूदी पंचमी एक महीने तक चलने वाले ऐतिहासिक सुदिष्ट बाबा मेले में सब्जी संग जलेबी खाने की है परंपरा। यहां सुदिष्ट बाबा का दर्शन करने, मेला घूमने या खरीदारी करने जो भी आता है, सब्जी के साथ जलेबी का स्वाद लेना नहीं चूकता। आलम यह है कि प्रति दिन इस मेले में सैकड़ों कुंतल जलेबी की बिक्री होती है। दुकानदार जलेबी संग सब्जी मुफ्त में देते हैं।
जानकार लोगों का कहना है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व सुदिष्ट बाबा धनुष यज्ञ का आयोजन करते थे। यहां गरीब कन्याओं का सामूहिक विवाह संपन्न होता था। उस समय सुदिष्ट बाबा इस मेले में शामिल होने वाले साधु-संतों सहित आम लोगों को पूड़ी, जलेबी व सब्जी खिलाते थे। सुदिष्ट बाबा के समाधिस्थ होने के बाद मेले का स्वरूप आध्यात्मिक की जगह धीरे-धीरे भौतिकवादी होने लगा। पूड़ी, जलेबी व सब्जी की जगह जलेबी व सब्जी खाने की परंपरा शुरू हो गई। पूरे उत्तर भारत में यह एकमात्र मेला है, जहां सब्जी संग जलेबी का लुत्फ लोग उठाते हैं। मेले के एक तिहाई क्षेत्रफल में जलेबी व मिठाई की दुकानें रहती हैं, शेष दो तिहाई में दो अन्य तरह की दुकानें। विगत 12 दिसंबर से शुरू इस मेले में अभी अन्य तरह की दुकानें पूरी तह सजी भी नहीं है कि जलेबी, सब्जी की बिक्री शुरू हो गई।
इस मेले में क्षेत्रीय लोगों के अलावा बलिया, छपरा, सीवान, भोजपुर व बक्सर जनपदों के श्रद्धालु आते हैं। सुदिष्ट बाबा का दर्शन पूजन कर जलेबी, सब्जी का आनंद लेकर चले जाते हैं। ऐसा नहीं है कि ग्रामीण इलाके के लोग या कम पढ़े-लिखे लोग इस मेले में जलेबी, सब्जी का आनंद लेते हैं बल्कि आइएएस, आइपीएस, पीसीएस अफसर जो इस क्षेत्र के रहने वाले हैं, इस मेले में जलेबी-सब्जी का आनंद लेते ही लेते हैं। इंजीनियर, डाक्टर, विधायक, सांसद भी इसमें पीछे नहीं रहते हैं। जिससे यहां जलेबी-सब्जी खाने की परंपरा को लोग अपने प्रतिष्ठा से जोड़कर देखते हैं। प्रतिष्ठित लोग जनप्रतिनिधि व राजनीति करने वाले लोग सैकड़ों लोगों के साथ मेले में सब्जी-जलेबी खाते-खिलाते देखे जाते हैं।