काशी और कानपुर में दम तोड़ रही गंगा, रासायनिक पदार्थो से खतरे में पड़ा जलीय जीवन
आक्सीजन की कमी के कारण जीवनदायिनी मां गंगा का जीवन भी अब संकट में आ गया है। इससे काशी व कानपुर में गंगा दम तोड़ रही हैं।
वाराणसी, (मुकेश चंद्र श्रीवास्तव)। आक्सीजन हर किसी के जिंदा रहने के लिए जरूरी है। चाहे इंसान हो या पशु, पक्षी, पेड़-पौधे व जलाशय भी। बिना आक्सीजन के जीवन ही नहीं है। आक्सीजन की कमी के कारण जीवनदायिनी मां गंगा का जीवन भी अब संकट में आ गया है। यह खतरा बढ़ते प्रदूषण व नालों के माध्यम से नदी में जा रहे अंधाधुंध रासायनिक पदार्थो के कारण पैदा हुआ है, जिससे काशी व कानपुर में गंगा दम तोड़ रही है। इन क्षेत्रों में जलीय जीवों का भी जीवन संकट में आ गया है। बीएचयू के वनस्पति विभाग के प्रो. जितेंद्र पांडेय व शोध छात्रा दीपा जायसवाल के शोध में यह बात सामने आई है। 518 किमी में आठ स्थानों के नमूनों पर शोध : तीन साल के इस शोध में जो परिणाम आए हैं वह आने वाले खतरे के लिए आगाह कर रहे हैं। यह शोध कानपुर से वाराणसी के बीच 518 किमी के दायरे में आने वाले आठ प्रमुख स्थानों नवाबगंज, जाजमऊ, डालमऊ, हटवा, संगम, सीतामढ़ी, बाइपास व राजघाट के नमूने पर किया गया है। साथ ही काशी के असि व कानपुर के वाजिपुर नाले के मुहाने की शुरुआत से डेढ़ किमी दूरी तक 15 स्थानों से नमूने लिए गए। जांच में पता चला कि मुहाने पर आक्सीजन का स्तर तो 1 मिग्रा से भी नीचे आ गया है। शोध के अनुसार, जाजमऊ और राजघाट की तलहटी में अमोनिया, लोहा और मैगनीज की अधिकता होने से आक्सीजन की कमी हो गई है। यह करने से सुधरेगी स्थिति : गंगा नदी को स्वच्छ बनाने के लिए बीओडी (जैविक आक्सीजन मांग) को कम करना करना होगा। सीओडी (रासायनिक आक्सीजन मांग) को कम करना होगा। घातक स्थिति : 0.47 मिग्रा/ लीटर है अस्सी नाले के मुहाने पर आक्सीजन की स्थिति । 0.22 मिग्रा/ लीटर है वाजिदपुर नाले के मुहाने पर आक्सीजन की स्थिति। बढ़ रही बीओडी :
अस्सी मुहाना वाजिदपुर मुहाना
28.6 मिग्रा/ली 20.62 मिग्रा/ली बढ़ रही सीओडी :
अस्सी मुहाना वाजिदपुर मुहाना
68.63 मिग्रा/ली 153.69 मिग्रा/ली किसी भी जलाशय के स्वास्थ्य की स्थिति उसमें उपस्थित डीओ (घुलित आक्सीजन) की मात्रा से निर्धारित होती है। विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण प्रदूषकों की भारी मात्रा जलाशयों में पहुंच रही है, जो जल में डीओ की मात्रा को लगातार कम कर रही है। इसका असर सीधे नदी के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। यही वजह है कि आए दिन मछलियों या अन्य जलीय जंतुओं के मरने की सूचना मिलती रहती है।
- प्रो. जितेंद्र पांडेय, वनस्पति विभाग, बीएचयू। कई स्थानों पर आक्सीजन की मात्रा बेहद कम होती जा रही है। शोध में आए परिणाम गंगा नदी के स्वास्थ्य पर बढ़ते खतरे की ओर इशारा कर रहे हैं। रासायनिक पदार्थो का गंगा में बहाव नहीं रुका तो स्थिति भयावह हो सकती है।
-दीपा जायसवाल, शोध छात्रा, बीएचयू।