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हिमसागर आम की मिठास लेने के लिए बढ़ा रूझान, बलिया में धनुषयज्ञ मेला में खूब खरीद रहे पौधे

संत शिरोमणि सुदिष्ट बाबा की समाधि पर धनुषयज्ञ मेले में लगी नर्सरी से बंगाल की प्रसिद्ध हिमसागर आम की मिठास मिल सकती है। धार्मिक आस्था रखने वाले लोग घर के मुख्य दरवाजे के पास दाहिने तरफ शमी का पौधा लगाने में रुचि दिखा रहे हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 11 Dec 2021 04:48 PM (IST)Updated: Sat, 11 Dec 2021 04:48 PM (IST)
हिमसागर आम की मिठास लेने के लिए बढ़ा रूझान, बलिया में धनुषयज्ञ मेला में खूब खरीद रहे पौधे
हाजीपुर से आयी नर्सरी से मेलार्थी आम सहित अन्य फल व फूलों के पौधों की खरीदारी कर रहे हैं।

जागरण संवाददाता, बलिया : संत शिरोमणि सुदिष्ट बाबा की समाधि पर धनुषयज्ञ मेले में लगी नर्सरी से बंगाल की प्रसिद्ध हिमसागर आम की मिठास मिल सकती है। धार्मिक आस्था रखने वाले लोग घर के मुख्य दरवाजे के पास दाहिने तरफ शमी का पौधा लगाने में रुचि दिखा रहे हैं। मेले में बिहार के हाजीपुर से आयी नर्सरी से मेलार्थी आम सहित अन्य फल व फूलों के पौधों की खरीदारी कर रहे हैं। मेलार्थी सबसे अधिक बंगाल की प्रसिद्ध हिमसागर आम के पौधे खरीद रहे हैं। यह अप्रैल व मई माह में ही पक कर तैयार हो जाता है यानि सीजन से पहले ही लोग फलों का राजा आम का स्वाद लेने लगेंगे।

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हिमसागर, लंगड़ा, दशहरी, चौसा, मलका व आम्रपाली आम के पौधे महज 150 से 250 रुपये में बिक रहे हैं। खास बात यह है कि इस आम के पौधरोपण के दो वर्ष बाद ही एक पेड़ में करीब 50 किलो आम का फल निकल जाता है। वहीं दूसरे वर्ष की पैदावार में वृद्धि होती है। साही लीची का पौधा लगाने के तीन वर्ष बाद इसका स्वाद मिलना शुरू हो जायेगा। जबकि इलाहाबादी अमरूद का तो जवाब ही नहीं है। पौधारोपण के कुछ माह बाद ही लोग अमरूद के फल का स्वाद चखना शुरू कर देंगे। साधारण किसान से लेकर नौकरी करने वाले लोग भी मेले में पौधे की खूब खरीदारी कर रहे हैं। बिहार के हाजीपुर निवासी नर्सरी मालिक उमेश व सूरज ने कहा कि हमारे यहां आम, अमरुद, लीची आदि फल के पौधों से लेकर विभिन्न तरह के फूलों का पौधा उपलब्ध है। कम मेहनत करने के बाद भी इनसे दो वर्ष में अच्छा मुनाफा हो सकता है।


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