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आरोग्य मेले का शुभारंभ : भारतीय चिकित्सा पद्धति का प्रचार-प्रसार जरूरी, बोले आयुष मंत्री धरम सिंह सैनी

आयुर्वेद संकाय बीएचयू में फिक्की की ओर से आयोजित चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय आरोग्य मेले का शुभारंभ गुरुवार को हुआ।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 19 Dec 2019 12:12 PM (IST)Updated: Thu, 19 Dec 2019 05:41 PM (IST)
आरोग्य मेले का शुभारंभ : भारतीय चिकित्सा पद्धति का प्रचार-प्रसार जरूरी, बोले आयुष मंत्री धरम सिंह सैनी
आरोग्य मेले का शुभारंभ : भारतीय चिकित्सा पद्धति का प्रचार-प्रसार जरूरी, बोले आयुष मंत्री धरम सिंह सैनी

वाराणसी, जेएनएन। आयुर्वेद संकाय, बीएचयू में फिक्की की ओर से आयोजित चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय आरोग्य मेले का शुभारंभ गुरुवार को हुआ। इसमें 68 देशों के प्रतिनिधि भाग लें रहे, जिनमें आयुष औषधियों की निर्माता कंपनी, आयुष चिकित्सक एवं वैज्ञानिक शामिल हैं। कार्यक्रम के शुभारंभ पर प्रदेश के आयुष मंत्री धरम सिंह सैनी ने कहा कि यूपी में आयुष की शुरुआत आयुर्वेद के प्रचार प्रसार करने के लिए धन्यवाद। जिस भारतीय चिकित्सा पद्धति पर पीएम को भरोसा है, उसके प्रसार के लिए प्रयास कर रहे है, उसके लिए हम सब की भी जिम्मेदारी है। सीएम योगी ने मुझे यह जिम्मेदारी दी, क्योंकि मैं आयुर्वेदिक चिकित्सक भी हूं।

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उन्‍होंने कहा कि हमारे यहां आयुर्वेद की 104, होम्योपैथिक की 254 और यूनानी की 176 डिस्पेंसरियां हैं। आयुर्वेद को बहुत आगे बढ़ाने के लिए बंद पड़ी दो औसधि निर्मानशालायओं को शुरू किया। आयुष मंत्रालय दो और निर्मानशाला देगा, जिनमे से एक बनारस और दूसरा पश्चिम में बनेगा, ताकि डिस्पेन्सरी पर आयुर्वेद की दवा की पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो। हमने आयुष आपके द्वार के माध्यम से मलिन बस्तियों में जा जा कर जांच की दवा दी। जिलों में आयुष मेले का आयोजन किया जा रहा हैं। 150 योग वेलनेस सेंटर यूपी में स्थापित हैं, 45 का काम चल रहा है। 50 बीएड के अस्पताल 15 जिलो में बनकर तैयार हैं , 5 में काम तेजी से चल रहा है।गोरखपुर में हर साल जापानी इंसेफ्लाइटिस से बहुत से बच्चों को मौत हो जाती थी। हमने 11 महीने एक गांव में स्वर्ण भष्म बच्चों को दिया, एक भी बच्चे को जेई नहीं हुआ। संकाय प्रमुख प्रो. यामिनी भूषण त्रिपाठी व निदेशक (आयुष), फिक्की प्रवीण कुमार मित्तल ने बताया विवि की ओर से पहली बार अष्टांग आयुर्वेद को पूर्ण रूप देने की दिशा में पहल करते हुए तीन शेष विद्या भूत विज्ञान, रसायन चिकित्सा एवं बाजीकरण की यूनिट स्थापित की गई है। मेले में यूनिट के तहत संचालित सर्टिफिकेट कोर्स की भी जानकारी दी जाएगी। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री  मंगल पांडेय ने कहा कि हम सब के लिए गौरव का विषय है, यही चिकित्सा पद्धति गांव के गरीबों को इलाज उपलब्ध कराती थी। पीएम मोदी ने इसके लिए अलग मंत्रालय बनाकर यह संदेश दिया कि पुरानी पद्धति का प्रसार हो। इसके शिक्षण की बेहतर व्यवस्था, औषधि निर्माण, रोजगार सृजन आदि पर जोर दिया जाय।देश के सभी राज्य पीएम मोदी के संकल्प संग जुड़ गए हैं। गांव के वैद्य पुड़िया में दवा देते थे। अब पैकेजिंग वैश्विक मानकों के अनुसार हो रही है। यह परिवर्तन न सिर्फ आयुर्वेद को बढ़ावा देगी, बल्कि आम लोगों को सस्ती व बेहतर चिकित्सा व्यवस्था देगी।

क्लीनिकल ट्रायल के लिए एमओयू

आयुर्वेद संकाय द्वारा डायबिटीज नेफ्रोपैथी के लिए एक नई दवा तैयार की गई है। इसके विकास और क्लीनिकल ट्रायल के लिए नोएडा की जीऑन कंपनी संग एमओयू किया जाएगा।

औषधि निर्माण को कांट्रैक्ट फार्मिंग

भारत व दक्षिण अफ्रीका की जलवायु में बहुत समानता है। वहां औषधि उत्पादन को लेकर असीम संभावनाएं हैं। मेले में दक्षिण अफ्रीका में कांट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर चर्चा की जाएगी। प्रो. त्रिपाठी के मुताबिक औषधियों का उत्पादन दक्षिण अफ्रीका में होगा, जबकि जीएमपी (गुड मैन्यूफैक्चरिंग प्रैक्टिस) प्रमाणित भारतीय कंपनियां दवा का निर्माण करेंगी।

वर्चुअल ज्ञान बढ़ाएगा आयुर्वेद का मान

आयुर्वेद की विशेषता है कि एक ही औषधि को पांच तरह की फार्मुलेशन बना कर लेने पर वह पांच अलग-अलग तरह के लाभ देता है। टेली मेडिसिन (वर्चुअल एजुकेशन) के माध्यम से दुनिया के अधिकांश देशों में आयुर्वेद के महत्व व उसकी उपयोगिता की जानकारी दी जाएगी। साथ ही वेलनेस सेंटर की तर्ज पर टेलीमेडिसिन को भी बढ़ावा दिया जाएगा। इसके माध्यम से लोगों को खान-पान व दैनिक जीवन में आयुर्वेद के तौर-तरीके अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। प्रवीण मित्तल ने कहा कि आयुर्वेद के माध्यम से प्राकृतिक व समग्र स्वास्थ्य देखभाल के लिए समूचे विश्व की निगाहें भारत पर टिकी हैं।


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