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नई फसलों को देखते हुए पुराने मसालों की आवक में आई कमी, इन दिनों मंडी में कीमतों में उछाल

जनवरी माह प्राय फसलाें के लिए मध्यावधि का होता है। फसलें पूर्ण विकसित होकर फूल लेने या दाना पकड़ने की अवस्था में रहती हैं। इसके पकने और बाजार तक आने में फरवरी और मार्च के महीने तक इंतजार करना होता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 14 Jan 2022 10:02 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 10:02 PM (IST)
नई फसलों को देखते हुए पुराने मसालों की आवक में आई कमी

जागरण संवाददाता, वाराणसी : जनवरी माह प्राय: फसलाें के लिए मध्यावधि का होता है। फसलें पूर्ण विकसित होकर फूल लेने या दाना पकड़ने की अवस्था में रहती हैं। इसके पकने और बाजार तक आने में फरवरी और मार्च के महीने तक इंतजार करना होता है। यही कारण है कि इनदिनों बाजार में हल्दी से लेकर जीरा और काली मिर्च तक के दामों में उछाल देखा जा रहा है। हालांकि लालमिर्च और सोँठ के दामों में नरमी का रुख है।

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वास्तव में, एक माह पूर्व मसालों के दामों में काफी गिरावट देखी गई। थोक मूल्य में हल्दी 95 से 100 रुपये प्रति किलोग्राम में बिकी वहीं गुरुवार को मंडी में 104 रुपये प्रति किलोग्राम में बिकी। विश्वेश्वरगंज मंडी में थोक्र विक्रेता गणेश सेठ बताते हैं कि आमद कम होने और मार्च तक नई फसल आने के कारण काली मिर्च 10 बढ़कर 570 (छोटा दाना) 660 (बड़ा दाना) रुपये प्रतिकिलोग्राम रहा। जबकि एक महीने पूर्व इसका प्रति किलोग्राम दाम 450-60 रुपये रहा। धनिया 16 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़कर 106 रुपये में बिकी। जानकारों की मानें तो इसबार धनिया की फसल कमजोर है और नई फसल अगले माह तक बाजार में उतरेगी। सोंठ में देखा जाए तो नेपाल की 30 रुपये गिरकर 250 रुपये प्रति किलोग्राम में बिकी। जबकि देसी सोंठ 180 की जगह 160 रुपये प्रति किलोग्राम में बिकी। लालमिर्च 210 रुपये की जगह 165 रुपये प्रतिकिलोग्राम में बिकी।


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