वाराणसी में नलकूप खुद चलेंगे औद बंद होंगे, अफसरों के फोन से पंप तय शेड्यूल पर होगा संचालित
मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में पेयजल व्यवस्था को उत्तम से सर्वोत्तम करने की दिशा में कदम बढ़ चला है। लोगों को तय शिड्यूल पर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए नलकूपों व डब्ल्यूडीपी (वाटर ट्रीटमेंट प्लांट) को हाइटेक किया जा रहा है।
वाराणसी [विनोद पांडेय]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में पेयजल व्यवस्था को उत्तम से सर्वोत्तम करने की दिशा में कदम बढ़ चला है। लोगों को तय शिड्यूल पर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए नलकूपों व डब्ल्यूडीपी (वाटर ट्रीटमेंट प्लांट) को हाइटेक किया जा रहा है। इसके तहत अब तक मानवरहित नलकूप किए जा रहे हैं। सेंसर लगाए जा रहे हैं जिससे अफसर मोबाइल फोन से ही शेड्यूटल सेट कर देंगे तो तय वक्त पर नलकूप चलेगा और बंद भी हो जाएगा। अब तक 25 नलकूपों को जलकल विभाग की ओर से हाइटेक किया जा चुका है।
नगर में कुल 148 बड़े नलकूप हैं जिनसे विभिन्न इलाकों में पेयजल की आपूर्ति होती है। इन नलकूपों का कायाकल्प कर हाइटेक किया जा रहा है। इसके लिए पांच करोड़ का बजट आवंटित किया गया है जिससे नलकूपों के पंप की मरम्मत के साथ ही बिजली उपकरण आदि दुरुस्त किए जाएंगे। इसके अलावा क्षतिग्रस्त चहारदीवारी की भी मरम्मत होगी। इसके बाद हाइटेक सेंसर लगाया जाएगा। इसके बाद संबंधित नलकूप को संचालित करने के लिए आपरेटर की जरूरत नहीं होगी। हाइटेक साफ्टवेयर से जलकल विभाग के अफसर मोबाइल फोन से ही उसे चलाएंगे और बंद कर देंगे।
हालांकि, पूरी व्यवस्था मुकम्मल फार्मेट पर वर्क करेगी जिसके तहत भेलूपुर स्थित जलकल कार्यालय परिसर में एक मास्टर कंट्रोल स्टेशन बनाया जाएगा जहां से नियंत्रित होगा। साथ ही सिगरा स्थित सिटी कमांड एंड कंट्रोल रूम से भी जोड़ा जाएगा। इस साफ्टवेयर से नलकूप की गड़बड़ी का पता भी लगाया जा सकता है जिसके बाद अविलंब उसे दुरुस्त किया जाएगा। पेयजल में क्लोरीन मिलाने, वाल्व आपरेशन व फ्लो कंट्रोल भी आटोमेटिक होगा। इससे यदि पंप चलने का तय शिड्यूल सुबह पांच बजे का है तो वक्त पर आपूर्ति सुनिश्चित होगी। पूरा रिकार्ड आनलाइन रहेगा जिससे यह भी जानकारी आसानी से हो जाएगी कि नलकूप एक माह में कितना चला और कितनी बार खराब हो रहा है और कौन सी गड़बड़ी आ रही है।
कास्ट कटिंग व जल संरक्षण उद्देश्य
नलकूपों को हाइटेक करने के पीछे की मंशा है कि इसके संचालन में होने वाले खर्च को कम किया जाए और जल संरक्षण भी हो सके। देखा गया है कि आपरेटर पंप चलाकर छोड़ देता है। बिना जरूरत घंटों पंप चलता है। इसके बिजली की खपत बढ़ जाती है तो पानी की बर्बादी भी होती है। इसके अलावा रिटायर्ड हो रहे पंप आपरेटरों की समस्या का भी समाधान हो जाएगा। यह सिस्टम अपग्रेड होगा तो पेयजल पाइप में लीकेज को भी बता देगा।
डब्ल्यूटीपी के लिए शासन को प्रस्ताव
नगर में गंगा आधारित पेयजल आपूर्ति भी होती है। इसके लिए दो डब्ल्यूटीपी स्थापित किए गए हैं। एक सारनाथ के बरईपुर में तो दूसरा भेलूपुर में स्थापित है। इसके संचालन व्यवस्था को भी हाइटेक किया जाएगा जिसका प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।
बोले अधिकारी
नलकूपों का संचालन आसान हो जाएगा। इसमें व्यय भी कम होगा। संचालन के लिए एक माह का टाइम शेड्यूल तय कर दिया जाएगा उस अनुसार नलकूप तय वक्त पर चलेंगे और बंद हो जाएंगे। यह पहला चरण है। दूसरे चरण में पंपिंग स्टेशनों को भी हाइटेक किया जाएगा। - रघुवेंद्र कुमार, महाप्रबंधक जलकल विभाग