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वाराणसी में 15 दिन में 42 हजार खातों का कर निर्धारण बना विभाग के लिए चुनौती

वाणिज्य कर विभाग इस बार वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) के नियमित दावों की अंतिम बार सुनवाई कर रहा है। इसकी तारीख 30 जून तय की गई है। ऐसे में 15 दिन में लगभग 42 हजार मामलों का कर निर्धारण करना विभाग के लिए चुनौती बना है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 07:10 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 07:10 PM (IST)
वाणिज्य कर विभाग इस बार वैट के नियमित दावों की अंतिम बार सुनवाई कर रहा है।

वाराणसी, जेएनएन। वाणिज्य कर विभाग इस बार वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) के नियमित दावों की अंतिम बार सुनवाई कर रहा है। इसकी तारीख 30 जून तय की गई है। ऐसे में 15 दिन में लगभग 42 हजार मामलों का कर निर्धारण करना विभाग के लिए चुनौती बना है। व्यापारियों को संभावना है कि कहीं पिछली बार की तरह इस बार भी एक पक्षीय सुनवाई न हो जाए। नियमानुसार वाणिज्य कर विभाग हर तीन वर्ष बाद कर निर्धारण के नियमित दावों की सुनवाई करता है।

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इस वर्ष वित्तीय वर्ष 2017-18 के मामलों का कर निर्धारण किया जाना है। फिर यहीं से जीएसटी लागू हो गया है। पहले 31 मार्च तक कर निर्धारण की तिथि तय की गई थी। कोरोना महामारी के दूसरे लहर के कारण इस तिथि को 30 जून तक कर दिया गया था। मई माह में आंशिक लॉकडाउन के कारण पचास फीसद कर्मचारी ही विभाग में आ रहे थे। इधर महामारी के कारण व्यापारी घर से बाहर नहीं निकल रहे थे। तो वहीं सीए और कर अधिवक्ताओं के दफ्तर भी बंद चल रहे थे। इसी में 19, 20, 26,27 जून को साप्ताहिक बंदी की भी छुट्टी है। वहीं मुख्यालय से वाणिज्यकर विभाग को आदेश मिला है कि 30 जून तक हर हाल में नियमित मामलों की सुनवाई कर लें। इसको लेकर विभाग के अधिकारी परेशान हैं।

21 खंड में 63 अधिकारियों को करना है सुनवाई

वाणिज्य कर विभाग के 21 खंड के 63 अधिकारियों को 42 हजार मामलों के कर निर्धारण की सुनवाई करनी है। इसके लिए व्यापारी को स्वयं या अधिवक्ता के माध्यम से विभाग में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होती है। व्यापारी के अनुपस्थित रहने की दशा में कर निर्धारण अधिकारी एक पक्षीय सुनवाई कर देता है। इसके बाद व्यापारी को दोबारा सुनवाई करवाना पड़ता है।

इतनी जल्दबाजी में क्यों हो रही है सुनवाई

इस सम्बंध में सीए फैजानुल्लाह का कहना है कि कर निर्धारण मामलों में सुनवाई के बाद व्यापारी अपील में चले जाते हैं। इससे प्रक्रिया लंबी हो जाती है। लेकिन राजस्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। फिर सुनवाई में इतनी जल्दबाजी क्यों हो रही है। यदि व्यापारी नहीं पहुंचा तो मामला एकपक्षीय हो जाता है। फिर वाणिज्यकर की धारा 32 के तहत व्यापारी को पुनः सुनवाई के लिए आवेदन करना पड़ता है।

कर निर्धारण सुनवाई का बढ़ाया जाए समय

कर अधिवक्ता अंगद सिंह के मुताबिक अभी एक सप्ताह पहले ही दफ्तर खुलने शुरू हुए हैं। इधर आदेश के तहत कर्मचारी टीकाकरण कराने में व्यस्त हैं। इतने कम समय में व्यापारी को नोटिस भेजना और फिर मामलों की सुनवाई करना संभव नहीं है। इससे विभाग और व्यापारी दोनों की समस्याएं बढ़ेंगी। ऐसे में तिथि बढ़ानी चाहिए।


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