वाराणसी में ऋषि पूजन में ब्रह्म सेना ने किया सवा लाख जनेऊ का शोधन, ब्राह्मणों को पहनाया जाएगा ये जनेऊ
ब्राह्मणों के हित पर कार्य करने वाली ब्रह्म सेना ब्रह्न तेज अभियान की आज शुरुआत किया। अभियान के प्रारम्भिक चरण के तहत आज अस्सी स्थित रामजानकी मंदिर में ऋषि पूजन कर जनेऊ को शोधित किया गया।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। ब्राह्मणों के हित पर कार्य करने वाली " ब्रह्म सेना " "ब्रह्न तेज " अभियान की आज शुरुआत किया। अभियान के प्रारम्भिक चरण के तहत आज अस्सी स्थित रामजानकी मंदिर में ऋषि पूजन कर जनेऊ को शोधित किया गया। पं श्रीप्रकाश पांडेय के देखरेख में पांच ब्राह्मणों ने पूजन शुरू कराया। इस पूजन शुरुआत सप्त ऋषि और अरुंधति माता के आह्वान और पूजन से किया गया। साखा और सूत्र के साथ सूर्य देवता को साक्षी मानते हुए गायत्री मन्त्र के आह्वान के साथ जनेऊ धारण, पाठ और हवन के उपरांत पूजन पूर्ण हुआ। "ब्रह्न तेज " आयोजन के तहत ब्रह्म सेना अगले छ महीने में काशी और उससे सटे जिला के ब्राम्हणों का शुद्धिकरण के पश्चात जनेऊ धारण कराया जाएगा जो भूलते परंपरा को पुनःस्थापित करने का एक प्रयास है। संपर्क के दौरान विप्रों को एक पैकेट दिया जायेगा जिसमें किसी कारणों से अशुद्ध होने पर पुनः धारण करने के लिए दो जनेऊ साथ ही एक साहित्य भी होगा। साहित्य में जनेऊ से जुड़ीं सभी जानकारियां जैसे जनेऊ की संरचना, धारण करने की वजह, धारण करने का मन्त्र , अशुद्ध होने की स्थिति , ब्रह्म गाँठ की जानकारी संग जनेऊ के वैज्ञानिक फायदे होगी।
इनकी उपस्थित रही
ऋषि पूजन में ब्रह्म सेना से डॉ गिरीश चंद्र त्रिपाठी ,डॉ संतोष ओझा , विनोद तिवारी ,डॉ प्रभाकर दुबे ,वृजेश पाठक ,अजय त्रिपाठी, सुमित संग सरयूपारी ब्राम्हण सभा के पारस नाथ उपाध्याय , सतीश मिश्रा , नागेंद्र दुबे और निखिल शुक्ल, नित्यानंद मिश्र , कलाधर दुबे अजय मिश्रा ,मुरलीधर पांडेय , हरी नारायण पांडेय ,श्री नारायण पांडे और बिज्जू पांडेय प्रमुख रहे।
क्या है श्रावणी
इस पर्व की शुरुआत पवित्र सरोवर से होता है। जहाँ बिप्र द्वारा वर्षपर्यंत अपने द्वारा किये जाने और अनजाने पापों का प्राश्चित करता है। जिसके बाद ऋषि पूजन में ब्रह्म सूत्र (जनेऊ ) का पूजन किया जाता है । सरोवर स्नान के दौरान बिप्र गोबर, गोमूत्र, दूध, दही, घी, भस्म, मिट्टी, कुश, दूर्वा और अपामार्ग से स्नान करता । जिससे मनसा, वाचा, कर्मणा किसी तरह से हुए पापों से मुक्ति मिलती है। वर्ण व्यवस्था के अनुसार ब्राम्हणों का श्रावणी , श्रत्रिय का विजयादसमी ,वैश्यों का दीपावली और शुद्र का होली महा त्यौहार कहा गया है।