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बीएचयू अस्‍पतान में शवों पर नहीं लगाया जा रहा टैग, कमियों को छुपाने में लगे हैं सभी

बीएचयू अस्‍पताल में कोरोना से हो रही मौत के बाद मृतक के शव के ऊपर विस्तृत जानकारी के साथ टैग लगना चाहिए जो नहीं हो रहा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 08:11 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 08:11 PM (IST)
बीएचयू अस्‍पतान में शवों पर नहीं लगाया जा रहा टैग, कमियों को छुपाने में लगे हैं सभी
बीएचयू अस्‍पतान में शवों पर नहीं लगाया जा रहा टैग, कमियों को छुपाने में लगे हैं सभी

वाराणसी, जेएनएन। कोरोना वायरस जैसी महामारी को देखते हुए सरकार की तरफ से तमाम प्रतिबंध लगा दिए गए हैं, जिसके कारण लोग अपने ही घर के परिजनों की मौत के बाद देख नहीं पा रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में जहां अस्पतालों में भी मरीज के साथ कोई नहीं रहता है और न ही उसकी कोई परवाह की जा रही है। ऐसे समय में मौत के बाद मृतक के शव के ऊपर विस्तृत जानकारी के साथ टैग लगना चाहिए जो नहीं हो रहा है। बीएचयू सूत्रों के मुताबिक 24 घंटे में चार मौत हुई है। ऐसी स्थिति में लापरवाही से इनकार नहीं किया जा सकता। इतनी बड़ी लापरवाही के बाद भी बीएचयू के सक्षम अधिकारियों की तरफ से कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी जाती है। लोगों का आरोप है कि बीएचयू के अधिकारी एक-दूसरे की कमियों व लापरवाही को छुपाने के लिए एक-दूसरे को बचाने में लगे हुए हैं। ऐसा कृत्य किसी भी संस्थान के लिए उचित नहीं है।

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बीएचयू की लापरवाही ने चौकी इंचार्ज को दिया कोरोना

बीएचयू परिसर में स्थित बीएचयू चौकी के पास कोरोना पॉजिटिव सुरक्षा कर्मियों को रखने के बारे में बीएचयू चौकी प्रभारी अमरेंद्र पांडेय ने लिखित रूप से बीएचयू प्रशासन को शिकायत किया था। कहा था कि चौकी के पास ही कोरोना पॉजिटिव सुरक्षा गार्डों से संक्रमित होने का खतरा हो सकता है। बावजूद इसके हमेशा की तरह इस मामले में भी अधिकारियों ने लापरवाही दिखाई न कि तत्परता। उसपर कोई ध्यान नहीं दिया गया और अधिकारियों की लापरवाही ने चौकी प्रभारी को भी कोरोना दे दिया। इस मामले में इंस्पेक्टर लंका महेश पांडेय ने बताया कि चीफ प्राक्टर से बात की गई थी, लेकिन जगह के अभाव का हवाला देते हुए उन्हें मना कर दिए।

इस मामले में भी सवालों में रहा बीएचयू, फिर भी दिखी लापरवाही

-हरिश्चंद्र कालेज के छात्र नेता कक्कू की मौत के बाद अस्पताल की दुव्र्यवस्था को लेकर काफी हंगामा हुआ था। उन्होंने तो मरने से पहले लापरवाही की पोल खोल दी थी।

-रिटायर आयकर अधिकारी डा. अनिल सिंह की मौत के बाद उनकी लाखों की अंगूठी और दो मोबाइल नहीं मिलने पर परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया था। यहां के अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई करने पर मजबूरन लंका थाने में चोरी की तहरीर देनी पड़ी थी।

-जेल से आए कैदी की बिना निगेटिव रिपोर्ट आए ही डिस्चार्ज को लेकर हंगामा हुआ, जिसके बाद बीएचयू प्रशासन ने कैदी के परिजनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया।


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