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वाराणसी के निजी स्‍कूलों में दो हजार रुपये फीस और महज 450 रुपये सरकारी भुगतान, शुल्‍क प्रतिपूर्ति न होने से आरटीई में फंसा पेच

वाराणसी जिले में राइट-टू-एजुकेशन में शुल्क प्रतिपूर्ति का रोड़ा आ गया है। इसके लिए दोबारा डिमांड भेजने की तैयारी की जा रही है। निजी स्‍कूलों में फीस दो हजार से अधिक और भुगतान मात्र 450 रुपये किया जाता है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 11:24 AM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2022 11:24 AM (IST)
वाराणसी के निजी स्‍कूलों में दो हजार रुपये फीस और महज 450 रुपये सरकारी भुगतान, शुल्‍क प्रतिपूर्ति न होने से आरटीई में फंसा पेच
निजी स्‍कूलों में शुल्‍क प्रतिपूर्ति न होने से आरटीई में पेच फंस गया है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। राइट-टू-एजुकेशन (आरटीई) के तहत जनपद के विभिन्न निजी विद्यालयों करीब 35 हजार से अधिक बच्चे विभिन्न कक्षाओं में मुफ्त पढ़ रहे हैं। इस वर्ष भी 13808 बच्चों की सूची जारी कर दी गई है। अब निजी विद्यालयों पर चयनित बच्चों का मुफ्त दाखिला लेने का दबाव बनाया जाता है। वहीं निजी विद्यालयों सत्र 2021 में शुल्क प्रतिपूर्ति के नाम पर एक रुपया भी नहीं मिला है। सत्र 2021-22 में भी विद्यालयों को शुल्क प्रतिपूर्ति नाम मात्र मिली है। इसे लेकर विद्यालयों में रोष है।

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बीएसए राकेश सिंह ने बताया कि शुल्क प्रतिपूर्ति व सहायता राशि के लिए शासन को 84 करोड़ रुपये का डिमांड भेजा गया था। 30 मार्च को शासन ने महज 48.50 लाख रुपये जारी की है। ऐसे में 595 विद्यालयों के खाते में मांग पत्र के सापेक्ष क्रमश : 1114, 2984, 3204, 4950, 7700 व 8154 रुपये स्थानांतरित किया गया है। शासन को नए सिरे से फिर डिमांड भेजा जा रहा है।

बजट का अभाव : विद्यालय प्रबंधन का कहना है  शुल्क प्रतिपूर्ति की डिमांड करने पर विद्यालयों बजट का अभाव बताकर टाल दिया जा रहा है। सत्र 2018-19 में भी 56 विद्यालयों को शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं मिली।

सीट के सापेक्ष 25 फीसद मुफ्त दाखिला : निश्शुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार-2009 के तहत निजी स्कूलों में प्री-नर्सरी व कक्षा-एक में निर्धारित सीट के सापेक्ष 25 फीसद अलाभित समूह व दुर्बल आय वर्ग के बच्चों का मुफ्त दाखिला करने का प्रविधान है। इसके लिए शासन विद्यालयों को प्रति छात्र अधिकतम 450 रुपये की मासिक दर से शुल्क प्रतिपूर्ति उपलब्ध कराता है। वहीं किताब-कापी व ड्रेस के लिए के बच्चों के अभिभावकों को पांच हजार रुपये सहायता राशि भी शासन मुहैया कराता है।

सत्र 2018-19 के बच्चों को अब तक नहीं मिली सहायता राशि : शुल्क प्रतिपूर्ति ही नहीं बच्चों को सहायता राशि भी समय से नहीं मिल रही है। सत्र 2018-19 के बच्चों को अब तक एक रुपया भी सहायता राशि नहीं मिली है। वहीं सत्र 2020-21 में महज 1905 बच्चों को सहायता राशि मिली है। सत्र 2021-22 भी सन्नाटे में है।

शुल्क प्रतिपूर्ति के नाम पर खानापूर्ति : नियमित शुल्क प्रतिपूर्ति न मिलने से विद्यालय प्रबंधन में रोष है। विद्यालयों का कहना है महंगाई के अनुसार शुल्क प्रतिपूर्ति काफी कम है। किसी भी अच्छे निजी विद्यालयों की फीस 2500-3000 रुपये मासिक से कम नहीं है। वहीं शासन से अधिकतम 450 रुपये शुल्क प्रतिपूर्ति दी जाती है। वह भी नियमित नहीं दी जा रही है। जबकि मुफ्त दाखिले के मनमाने तरीके से बच्चे आवंटित कर दिए जाते हैं।


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