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जौनपुर जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर निर्दल उम्मीदवारों की होगी अहम भूमिक, जादुर्ई आंकड़ा के करीब नहीं कोई राजनीतिक दल

जौनपुर जिला पंचायत सदस्य पद का परिणाम आने के बाद सभी दलों की स्थिति साफ हो गई है। अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की तिथि का इंतजार न कर सियासी रणनीतिकारों ने बिसात बिछानी शुरू कर दी है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सत्ता और विपक्ष ने खूब ताकत झोंकी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 08 May 2021 08:30 AM (IST)Updated: Sat, 08 May 2021 12:34 PM (IST)
जौनपुर जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर निर्दल उम्मीदवारों की होगी अहम भूमिक, जादुर्ई आंकड़ा के करीब नहीं कोई राजनीतिक दल
अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की तिथि का इंतजार न कर सियासी रणनीतिकारों ने बिसात बिछानी शुरू कर दी है।

जौनपुर, जेएनएन। जिला पंचायत सदस्य पद का परिणाम आने के बाद सभी दलों की स्थिति साफ हो गई है। अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की तिथि का इंतजार न कर सियासी रणनीतिकारों ने बिसात बिछानी शुरू कर दी है। किसी भी राजनीतिक दल के जादुई आंकड़ा के करीब न पहुंचने से जिले की प्रथम नागरिक कौन होगी इसका फैसला जिला पंचायत के निर्दलीय सदस्य करेंगे।

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त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सत्ता और विपक्ष ने खूब ताकत झोंकी। दरअसल इनका टारगेट जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी थी। तमाम कोशिशों के बाद भी प्रमुख दल जादुई आंकड़े से काफी दूर हैं। सत्ताधारी भाजपा जहां पिछले चुनाव के मुकाबले चार सीटों के फायदे में रहने के बाद भी कुल 12 सीट ही जीत पाई वहीं मुख्य विपक्षी दल सपा चुनावी समर में वाकओवर देने के बावजूद सबसे बड़ी जीत हासिल करने का दावा कर रही है। कई दशक से जिले में हासिए पर पहुंच चुकी कांग्रेस की इस बार बोहनी तक नहीं हुई। वहीं अपना दल को तीन सीट पर कामयाबी मिली तो उलेमा काउंसिल व एआईएमआईएम ने एक-एक सीट जीतकर इस बार सदन में दस्तक दी है।

सूबे में अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रही बहुजन समाज पार्टी आठ सीटें जीतने का दावा कर रही, लेकिन ‘हाथी’ कब किस करवट बैठ जाए इसकी कोई गारंटी नहीं रहती। कुल मिलाकर 83 सदस्य वाले सदन में अध्यक्ष की कुर्सी हासिल करने वाले जादुई आंकड़े से दोनों ही प्रमुख दल काफी दूर हैँ।

अमूमन सत्ता के लिए आसान माना जाने वाला यह चुनाव भाजपा के लिए टेढ़ी खीर नजर आ रहा है। सत्ता की हनक और धनबल के बाद भी भाजपा के लिए यह चुनाव जीतना आसान नहीं होगा। निर्दल 58 निर्दल सदस्यों को अपने पाले में खींच लेने वाला दल ही जीत के नजदीक पहुंचेगा। सियासी जानकारों का कहना है कि इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में धनबल की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। प्रमुख दल किसी ऐसे प्रत्याशी की खोज में हैं धनबल के साथ ही बाहुबल में भी कमजोर न पड़े।


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