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मन की बात : काशी के सांसद व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुबाग के गुरुद्वारा व गुरुनानक देव के यात्रा की चर्चा की

काश्‍ाी के सांसद व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात में गुरुनानक देव के प्रकाश पर्व व उनके यात्राओं के वर्णन के साथ वाराणसी के गुरुबाग स्थित उनके यात्रा की चर्चा की।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 27 Oct 2019 02:42 PM (IST)Updated: Mon, 28 Oct 2019 04:56 PM (IST)
मन की बात : काशी के सांसद व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुबाग के गुरुद्वारा व गुरुनानक देव के यात्रा की चर्चा की
मन की बात : काशी के सांसद व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुबाग के गुरुद्वारा व गुरुनानक देव के यात्रा की चर्चा की

वाराणसी, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में गुरुनानक देव महाराज के 550वें प्रकाशोत्सव को याद करते हुए गुरुद्वारा गुरुबाग का जिक्र किया। सिख समाज ने पीएम की सराहना करते हुए उन्हें संत की उपाधि से नवाजा।

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समाज के परमजीत सिंह अहलूवालिया ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी हर विषय पर सोच-समझ कर बोलते हैं। वे संत पुरुष हैं, जो उनकी बातों से भी झलकता है। गुरुनानक देव महाराज ने जिस तरह सभी धर्म -संप्रदाय का सम्मान किया, पीएम भी उसी तर्ज पर सभी को मान-सम्मान दे रहे हैं। गुरुद्वारा गुरुबाग गुरु नानक देव महाराज की चरण स्पर्श भूमि है। गुरु के इस पावन धरती का जिक्र पीएम ने हृदय से किया है। उन्हें यहां दर्शन भी जरूर करना चाहिए। ज्ञात हो कि गुरुनानक देव महाराज का 550वां प्रकाशोत्सव 12 नवंबर को गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी व समूह संगत के सहयोग से गुरुद्वारा गुरुबाग में मनाया जाएगा। इस क्रम में जहां ऐतिहासिक प्रभातफेरियों का क्रम जारी है, वहीं बीएचयू अस्पताल में लंगर भी चलाया जा रहा है।

गुरुनानक देव ने यहीं किया था शापग्रस्त विद्वान का उद्धार

गुरुद्वारा गुरुबाग के मुख्य ग्रंथी भाई सुखदेव सिंह बताते हैं कि फरवरी 1507 में शिवरात्रि के अवसर पर गुरु नानक देव वाराणसी की यात्रा पर थे। वर्तमान गुरुद्वारे के स्थान पर उस समय यहां सुंदर बाग था। इसी स्थान पर गुरु नानक देव शबद-कीर्तन कर रहे थे, जिससे प्रभावित होकर बाग के मालिक पंडित गोपाल शास्त्री उनके शिष्य बन गए। गुरु नानक देव के आकर्षक प्रभाव से पूरी नगरी में उनकी जय-जयकार होने लगी। उन्हीं दिनों कई विद्वानों को शास्त्रार्थ में पराजित करने वाले पंडित चतुरदास ईष्र्यावश गुरु नानक देव के पास पहुंचे। इस पर गुरु नानक ने मुस्कुराते हुए स्वयं कहा कि पंडित चतुरदास जी यदि आप को मुझसे कुछ प्रश्न करने हैं तो इस बाग के भीतर एक कुत्ता है, आप उसे यहां लाइए, वही आपके प्रश्नों का उत्तर देगा। हम इस वाद-विवाद के झमेले में पडऩा नहीं चाहते। गुरुजी का इशारा पाकर पंडित जी कुछ ही दूर गए थे कि उन्हें कुत्ता मिला, जिसे वे लेकर आए। गुरु नानक देव ने जब उस पर दृष्टि डाली तो कुत्ते के स्थान पर सुंदर स्वरूप धोती, जनेऊ, तिलक, माला आदि धारण किए एक विद्वान बैठा नजर आया। लोगों के पूछने पर उसने बताया कि मैं भी एक समय विद्वान था, लेकिन मेरे भीतर ईष्या व अहंकार भरा हुआ था। काशी में आने वाले सभी साधु, संत, महात्मा, जोगी, सन्यासी को अपने शास्त्रार्थ से निरुत्तर कर यहां से भगा देता था। एक बार एक महापुरुष से काफी देर तक वाद-विवाद करता रहा। उन्होंने मेरे हठधर्मिता पर मुझे शाप दे दिया। माफी मांगने पर उन्होंने कहा कि कलयुग में गुरु नानक जी का आगमन होगा, उनकी कृपा दृष्टि से ही तेरा उद्धार होगा। गुरु नानक देव ने उपदेश देते हुए कहा कि कर्म कांड और बाह्य आडंबर में लोग लिप्त हैं, लेकिन इनसे मोक्ष की प्राप्ति तब तक नहीं हो सकती जब तक कि निश्चय के साथ परम पिता का स्मरण न किया जाए। गुरुजी के अलौकिक वचनों को सुन सभी के शीश श्रद्धापूर्वक गुरु चरणों में झुक गए, वहीं पंडित चतुरदास का मन भी निर्मल हो गया। इस पर पंडित गोपाल शास्त्री ने कहा कि गुरु महाराज आपके चरण पडऩे से मेरा ये बाग पवित्र हो गया है। इसलिए अब ये बाग आपके चरणों में समर्पित है। उसी दिन से यह बाग 'गुरुबाग' के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

भाजपा काशी क्षेत्र स्वच्छता प्रकल्प की ओर से कोदई चौके पर रेडियो पर मन की बात सुनने का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का नेतृत्व संयोजक अनुप जायसवाल, संचालन ओमप्रकाश यादव बाबू, धन्यवाद मनीष चौरसिया ने किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विजय कृष्ण गुप्ता पूर्व पार्षद, कार्यक्रम में मुख्यरुप से उपस्थित थे।


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