जौनपुर में थम रही जीवनदायिनी की कल-कल करती धारा, प्रदूषित जल के उपयोग से कतराते हैं लोग
जौनपुर शहर के मध्य से गुजरी आदिगंगा गोमती इस समय सिकुड़ गई हैं। नदी में जगह-जगह जहां मिट्टी व रेत के टीले दिखाई देने लगे हैं वहीं कुछ स्थानों पर तो बालू ही बालू दिखने लगा है। नदी में नालाें का गिरता पानी अब स्पष्ट दिखाई देने लगा है।
जौनपुर, जेएनएन। नदियां जीवनदायिनी कही जाती हैं। कभी इनकी कल-कल करती धारा को देखने लोग पहुंचते थे, लेकिन अब यह थमने लगी है। कहीं रेत तो कहीं टीले दिखाई पड़ रहे हैं। इतना ही नहीं इन नदियों का पानी पीना तो दूर कपड़ा धाेने योग्य भी नहीं बचा है।
शहर के मध्य से गुजरी आदिगंगा गोमती इस समय सिकुड़ गई हैं। नदी में जगह-जगह जहां मिट्टी व रेत के टीले दिखाई देने लगे हैं, वहीं कुछ स्थानों पर तो बालू ही बालू दिखने लगा है। नदी में नालाें का गिरता पानी अब स्पष्ट दिखाई देने लगा है। कल तक स्नान करने वाले भी अब किनारा कर लिए हैं। यही स्थिति आगे संगम स्थल राजेपुर में भी है। आम दिनों में उफनाई रहने वाली नदी सिकुड़ गई है। केराकत क्षेत्र में भी गोमती नदी अब सूख गई हैं। जगह-जगह नदी में पानी की जगह बालू व मिट्टी के टीले नजर आने लगे हैं। तटीय क्षेत्रों के गांवों के वाशिंदों का कहना है कि गोमती नदी खुद प्यासी हो गई है। इसके चलते पशु-पक्षियों व जल प्राणी के जीवन के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है। जलालपुर और सिकरारा इलाके से गुजरी सई नदी की भी यही हालत है, जो सुकड़ सी गई है। दूर-दूर तक रेत ही दिखाई दे रहे हैं, जिन्हें देखकर आस-पास के लोग चिंतित हैं। मुंगराबादशाहपुर, मीरगंज, बरसठी क्षेत्र से गुजरी वरुणा नदी भी पूरी तरह से सूख गई है। यही हाल बसुही नदी का है।
सिंचाई को लेकर किसान परेशान
नदियां सूख गई हैं। बिजली दगा दे रही है। कई इलाकों में लगे नलकूप भी शाे-पीस बने हुए हैं। ऐसे में किसान धान की नर्सरी को लेकर परेशान हैं। उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर नर्सरी कैसे डालें। बरसठी क्षेत्र में वरुणा से काफी मात्रा में खेतों की सिंचाई होती है। इसके साथ ही जल को संरक्षित करने के लिए सरकार की तरफ से कई बार चेकडैम बनाने की बात कही, लेकिन वह सिर्फ कोरा आश्वासन ही साबित हुआ।
जनपद में नदियों की लंबाई
गोमती- 125 किलोमीटर
सई- 95 किलोमीटर
बसुही- 66 किलोमीटर
वरुणा- 17 किलोमीटर
पीली-30 किलोमीटर
नदियों के अस्तित्व को बरकरार रखने के लिए जल्द ही योजना बनाकर पहल की जाएगी
जनपद से गुजरी 125 किलोमीटर गोमती और 95 किलोमीटर सई नदी में कहीं टीला व रेत उभरा है और कहीं पानी अधिक है। इसका हाल ही में सर्वे किया गया है। रिपोर्ट मुख्य विकास अधिकारी को सौंप दी गई है। इन नदियों के अस्तित्व को बरकरार रखने के लिए जल्द ही योजना बनाकर पहल की जाएगी।
-आशीष कुशवाहा, अधिशासी अभियंता सिंचाई।