आजमगढ़ में घाघरा के रौद्र रुख को रोकने के लिए कड़ाही चढ़ाने पहुंची महिलाएं डूबने से बचीं
आजमगढ़ में घाघरा के रौद्र रुख को रोकने के लिए कड़ाही चढ़ाने पहुंची महिलाएं डूबने से बचीं।
आजमगढ़, जेएनएन। रौद्र रूप धारण कर चुकी घाघरा को मनाने का प्रयास महिलाओं को भारी पडऩे से बच गया। महिलाएं कढ़ाही चढ़ाने (गांवों की परंपरा जिसमें पूड़ी हवाल बनाकर चढ़ाया जाता है) पहुंची थी। उन्हें भरोसा था कि मैया उनकी जरूर सुनेंगी, लेकिन हुआ ठीक उसके उलट। नदी की उफान आया तो उनके सामान जरूर पानी की धारा में बह गए। संयोग रहा कि ऐसी हालात में कोई महिला को नुकसान नहीं हुआ। डरी सहमी महिलाएं चिंतित हालत में घर लौट गईं। ऐसे में ग्रामीणों को अब भगवान का ही सहारा बच गया है।
गांगेपुर रिंग बांध के समीप किसानों की खेती योग्य जमीन घाघरा में रोजाना समाहित होती जा रही है। किसान चिंतित हैं कि आखिर मैया उनके साथ ऐसा क्यों कर रहीं हैं। उन्हें समझ पूड़ी पकवान चढ़ाएं तो शायद घाघरा नदी का उग्र रुप कम हो जाए। इसी सोच के साथ सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण महिलाओं ने सुबह-सुबह घाघरा नदी को प्रसन्न करने के लिए एकजुट होकर कराही चढ़ाने के लिए नदी किनारे जा पहुंची। महिलाओं के द्वारा चूल्हे पर कराही चढ़ाने के लिए प्रसाद का बनाया जा रहा था। उसी दौरान नदी में आए उफान में दर्जनों महिलाओं के चूल्हे व कड़ाही नदी की मुख्य धारा में बह गए। महिलाएं भय बस पुन: अपने घर वापस आ गई।
घाघरा नदी गांगे पुर रिंग बांध के बीच में मठिया बसा हुआ है। जिनमें 600 घर 3000 की आबादी निवास करती है। रिंग बांध से मात्र 100 मीटर की दूरी पर घाघरा की मुख्य धारा बह रही है। यह रिंग बांध सिंचाई विभाग के अंतर्गत आता है, जिसे को बचाने के लिए अभी तक सिंचाई विभाग के द्वारा कोई प्रयास नजर नहीं आ रहा है। यदि नदी इसी गति से तेजी के साथ कटान करेगी तो विगत दो-तीन दिनों में आबादी के करीब घाघरा की मुख्यधारा पहुंचेगी। वही महुला गड़बल मुख्य बांध पर भी घाघरा नदी के कटान से खतरा बढ़ जाएगा, लेकिन अभी तक कोई भी रिंग बांध व मुख्य बांध को बचाने के लिए प्रशासन द्वारा उपाय नहीं किया जा रहा है। कटना को देखते हुए नदी किनारे रिंग बांध बनाने में लगाए गए फसलों व पेड़ों को लोग अपने-अपने घर ले जाने में जुटे हुए हैं। ग्राम प्रधान के द्वारा ईंट को सुरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है।