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आजमगढ़ में इंजीनियरों ने ड्रोन से ढूंढ़ा छोटी सरयू का रास्ता, 1955 में बांध बनने के बाद जुदा हुए थे रास्ते

ड्रोन कैमरे के जरिए छोटी सरयू के रास्ते को ढूंढ़ने एवं उसकी जमीन स्थिति जानने क कोशिश हुई। भविष्य की रणनीति छोटी एवं बड़ी सरयू संग तमसा नदी का मिलन कराने की है।दरअसल 1955 में महुला गढ़वल बांध बनने के दौरान दोनो सरयू के रास्ते जुदा-जुदा हो गए थे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 23 Jun 2021 06:10 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jun 2021 06:37 PM (IST)
आजमगढ़ में इंजीनियरों ने ड्रोन से ढूंढ़ा छोटी सरयू का रास्ता, 1955 में बांध बनने के बाद जुदा हुए थे रास्ते
आजमगढ़ में सरयू को पुनर्जीवित करने के लिए भगीरथ प्रयास।

आजमगढ़, जेएनएन। इंजीनियरों की मदद से छोटी सरयू बचाओ अभिायान के संयोजक ने बड़े आगाज की शुरुआत की। ड्रोन कैमरे के जरिए छोटी सरयू के रास्ते को ढूंढ़ने एवं उसकी जमीन स्थिति जानने क कोशिश हुई। भविष्य की रणनीति छोटी एवं बड़ी सरयू संग तमसा नदी का मिलन कराने की है। दरअसल, 1955 में महुला गढ़वल बांध बनने के दौरान दोनो सरयू के रास्ते जुदा-जुदा हो गए थे।

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छोटी सरयू का उद्गम स्थल कमहरिया माझा घाट को माना जाता है। ऐसे में ड्रोन कैमरे से रास्ते एवं उसकी स्थिति जानने की शुरूआत वहीं से की गई। सरयू को पुनर्जीवित करने और सदानीरा बनाने की संभावनाएं तलाशी गईं। हवाई निरीक्षण के साजो-सामान संग इंजीनियरों एवं समाजसेवियों की टीम को देखने के बाद उनकी रणनीति जान लोगों ने सम्मान किया। ग्रामीण भविष्य की योजनाएं जानने के साथ अपना सलाह देते हुए रणनीति की सराहना भी कर रहे थे। नदी को पुनर्जीवित करने में हर संभव सहयोग करने का विश्वास दिलाते रहे। नौजवानों इससे खुद को रोमांचित महसूस कर रहे थे।

अतीत में लाखों लोगों को लाभ पहुंचाने वाली, हजारों एकड़ जमीन की सिंचाई करने वाली, जीव जंतुओं एवं पशुओं की प्यास बुझाने वाली, जलीय जीवों को आश्रय देने वाली नदी आज एक छोटी सी धारा बनकर रह गई है। हालांकि, इस दुश्वारियों के पीछे भी इंजीनियरों की अदूरदर्शिता ही कही जाएगी। यह स्थिति मूल सरयू के मार्ग को बाधित करते हुए बनाए गए बंधे का ही दुष्परिणाम ही है। इसका मूल समाप्त होने के कगार पर आ पहुंचने से री-चार्ज होने वाले तालाब, पोखरे, कुएं, नाले सब सूखने लगे हैं। नदी सूखने के कारण वहां की भूमि पर लोग अवैध रूप से खेती करने लगे हैं। एक्सईन दिलीप कुमार ने बताया कि इससे उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जाएगा। उनके निर्देश मुताबिक ही आगे कोई कमद बढ़ाया जाएगा। सरयू बचाओ अभियान के संयोजक पवन कुमार सिंह ने बताया कि मूल सरयू का अतीत वैभवशाली व पानीदार रहा है। इसे किसी कीमत पर विलुप्त नहीं होने देंगे। इसमें बाढ़ खंड एवं जिला प्रशासन से विशेष सहयोग की अपेक्षा होगी। हमारी रणनीति भविष्य में छोटी-बड़ी सरयू का तमसा से मिलन करना है।


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