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आजमगढ़ जिला कारागार में बंदी के पेट में घुसी बोतल, जिला अस्पताल में भर्ती करा कर किया जाएगा आपरेशन

जिला कारागार में बंद एक बंदी रंजीत की पेट में बोतल घुस गई। यह कैसे हुआ इसकी जानकारी फिलहाल नहीं हो पाई है। उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया तो एक्सरे में जानकारी हुई। उसके निजी अंग के रास्ते बोतल घुसने की सामने आई है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 20 Oct 2021 06:07 AM (IST)Updated: Wed, 20 Oct 2021 06:07 AM (IST)
आजमगढ़ जिला कारागार में बंदी के पेट में घुसी बोतल,  जिला अस्पताल में भर्ती करा कर किया जाएगा आपरेशन
जिला कारागार में बंद एक बंदी रंजीत की पेट में बोतल घुस गई।

जागरण संवाददाता, आजमगढ़। जिला कारागार में बंद एक बंदी रंजीत की पेट में बोतल घुस गई। यह कैसे हुआ इसकी जानकारी फिलहाल नहीं हो पाई है। उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया तो एक्सरे में जानकारी हुई। उसके निजी अंग के रास्ते बोतल घुसने की सामने आई है। बंदी की हालत गंभीर देख डाक्टरों ने उसे मेडिकल कालेज चक्रपानपुर के  लिए रेफर कर दिया गया। बुधवार को ऑपरेशन के जरिए बोतल निकाली जाएगी। डॉक्टर दीपक पांडे ने बताया कि बंदी को सर्जरी वार्ड में भर्ती किया गया है।

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प्रदेश के 17 अतिसंवेदनशील जेलों में आजमगढ़ जिला कारागार भी शामिल है। अभी बीते माह लखनऊ में मऊ जिले के मोहम्दाबाद गोहना के पूर्व ज्येष्ठ प्रमुख अजीत सिंह की हुई हत्या का ताना-बाना आजमगढ़ जेल में निरुद्ध कुख्यात अपराधियों द्वारा बुना गया था।जेल में क्षमता से कई गुना अधिक कैदियों की संख्या होने से अधिकारियों को दिक्‍कत होती है। इसके चलते आए दिन विवाद भी होता रहता है। जेल में विभिन्ना मामलों में सजा काटने वाले कैदी और हवालाती बंदियों को रखने की क्षमता से बहुत कम है और बंदी-कैदी  ज्‍यादा है। जेल के अधिकारियों का कहना है कि बैरकों में जगह की कमी तो लंबे समय से चली आ रही है। इसके बावजूद व्यवस्था का संचालन करना पड़ रहा है। एक बैरक में 50 से लेकर 65 बंदियों को रखा जा रहा है।

सुरक्षा पर नजर : ड्रोन कैमरा मिलने से पूर्व जिला कारागार आजमगढ़ के दो बंदी रक्षकों को प्रशिक्षण देने के लिए कारागार मुख्यालय लखनऊ बुलाया गया था। कारागार मुख्यालय लखनऊ गए दोनों बंदी रक्षकों को ड्रोन कैमरे के हर तकनीक से प्रशिक्षित कराया गया। ड्रोन कैमरे से जेल के अंदर से लेकर लगभग दो किलोमीटर के क्षेत्रफल में हर गतिविधियों पर एक जगह से ही नजर रखी जा सकती है। जेल परिसर के कार्यालय में ही एक कंट्रोल रूम बनाया गया है।


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