1934 में काशी में मिली थी अंग्रेजों को क्रिकेट युद्ध में मात, इंग्लैंड ने खाई थी शिकस्त
1930 के दशक में भारत इंग्लैंड से अपने का आजाद करने के लिए कई तरह का प्रयास कर रहा था। राजा विजयानगरम ने इंग्लैंड को उनके राष्ट्रीय खेल क्रिकेट में पराजित कर उनका मनोबल गिराने का काम किया था।
वाराणसी, जेएनएन। 1930 के दशक में भारत इंग्लैंड से अपने का आजाद करने के लिए कई तरह का प्रयास कर रहा था। ऐसे में बनारस में निवास करने वाले राजा विजयानगरम ने इंग्लैंड को उनके राष्ट्रीय खेल क्रिकेट में पराजित कर उनका मनोबल गिराने का काम किया था। उन्होंने अपने संबंधों के बल पर 10, 11 व 12 जनवरी 1934 को बनारस में एमसीसी इंग्लैंड और भारत के बीच मैच निर्धारित किया गया। इंग्लैंड की टीम जब टेस्ट मैच खेलती थी तब इंग्लैंड की कहलाती थी, उसके अलावा जब कोई और स्तर का मैच खेलती थी तब एमसीसी (मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब) के नाम से पुकारी जाती थी। इसके लिए उन्होंने तब के भेलूपुर में अपने महल के बगीचे को कटवा कर वहां पर क्रिकेट मैदान का निमार्ण कराया।
इंग्लैंड की टीम में वाल्टर्स, बरनेट, बेकवेल, वेलेंटाइन, निकोलस, जार्डिन जैसे मशहूर खिलाड़ी शामिल थे। वहीं भारतीय टीम में सीके नायडू, पटियाला के महाराजा, दिलावर हुसैन, नासिर और राजा विजयानगरम थे।
10 से 13 जनवरी तक चले मैच में भारत ने एमसीसी को 14 रन से पराजित कर गोरों को करारा झटका दिया। इस जीत के साथ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को बल भी मिला कि अंग्रेज अजेय नहीं हैं।
उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश की ओर से रणजी ट्राफी खेल चुके राजा विजयानगरम के बेटे कुंवर वेंकटेश सिंह ने बताया कि अपने पिता के नाम पर उन्होंने अखिल भारतीय विज्जी ट्राफी क्रिकेट प्रतियोगिता आइआइटी बीएचयू में आयोजित की है। इसमें भाग लेने वाली आठ टीमों में अंतराष्ट्रीय स्तर के और आइपीएल में धमाल मचा चुके क्रिकेटर भी आ रहे हैं।