आइएमएस बीएचयू को मिलेंगे अब स्थायी निदेशक, 11 को होने वाले साक्षात्कार के लिए दस दावेदार
आइएमएस बीएचयू को अब स्थायी निदेशक मिलेंगे और इसके लिए 11 अगस्त को होने वाले साक्षात्कार के लिए दस दावेदार हैं।
वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर पूर्वांचल, बिहार सहित राज्यों के मरीजों को बेहतर, आधुनिक, सस्ती/निश्शुल्क चिकित्सा सुविधा दिलाने के लिए बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान (आइएमएस) को एम्स के बराबर दर्जा देने की प्रक्रिया तेज हो गई है। अब जल्द ही पूर्वांचल के एम्स कहे जाने वाले आइएसमएस को पांच साल के लिए स्थाई निदेशक मिल जाएंगे। इसके लिए 11 अगस्त को साक्षात्कार की तिथि तय की गई है। इससे पहले 10 दावेदार शार्ट लिस्टिंग किए गए हैं। इसमें दो बाहर एवं आठ संस्थान के ही प्रोफेसर शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार तमाम दावेदार सेंट्रल आफिस से लेकर दिल्ली तक जोर-जुगाड़ भिड़ाने में जुट गए हैं। बताया जा रहा है कि नए निदेशक का अधिकार बीएचयू के कुलपति व एम्स- नई दिल्ली के निदेशक से थोड़ा कम लेकिन अन्य प्रोफेसरों के अधिक होगा। खैर, यहां निदेशक की नियुक्ति हो जाने के बाद एम्स जैसी सुविधा की प्रक्रिया को भी धार मिलेगी।
कुलपति का वेतन :
- 2. 10 लाख बेसिक वेतन। इसके साथ ही 11 हजार 250 रुपये विशेष पे जुड़ता है।
नए निदेशक का वेतन :
- 1.82 लाख 200 रुपये से 2.24 लाख 100 रुपये तक। साथ में एनपीए भी, लेकिन दोनों मिलाकर अधिकतम 2.35 लाख 500 रुपये।
बीएचयू में प्रोफेसर का वेतन :
- 1.47 लाख से लेकर 2.18 लाख रुपये तक।
ये हैं पात्र दावेदार
डा. प्रमोद कुमार पात्रा, डा. सत्यनारायण संखवर, डा. एसके गुप्ता, डा. वीके दीक्षित, डा. अशोक कुमार, डा. संजय गुप्ता, डा. राहुल खन्ना, डा. यूपी शाही, डा. एसके सिंह, डा. गोपाल नाथ।
इन्होंने ने भी किया था दावा
डा. अशोक कुमार प्रसाद, डा. बीबी लाल, डा. हरीश एम पाठक, डा. अनिमेश मिश्रा, डा. केके गुप्ता, डा. अमित रस्तोगी।
दो लाख रुपये प्रति बेड हैं फंड
मालूम हो कि आइएमएस बीएचयू एवं बीएचयू यूजीसी के अधीन आता है। यही वजह है कि संस्थान के अस्पताल को बहुत ही कम फंड मिलता है। इसके कई बार बात की गई, लेकिन यूजीसी की भी फंड देने की स्थिति सीमित है। पहले तो अस्पताल को प्रति बेड महज 20 हजार ही मिलता था। हालांकि सरकार के पहल पर यह राशि प्रति बेड एक लाख रुपये कर दी गई। इसके बाद 2016 में तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक डा. ओपी उपाध्याय के प्रयास से अस्पताल को प्रति बेड दो लाख रुपये मिलने लगा। हालांकि यहां की नीतियों के कारण मरीजों को दवा, जांच या अन्य खर्च में रियायत नहीं मिली।
कुलपति प्रो. राकेश भटनागर के आने से आसान हुई प्रक्रिया
वहीं मोदी सरकार भी लगातार मरीजों के प्रति संवेदना दिखाते हुए निशुल्क उपचार देने की पहल करती रही, लेकिन यूजीसी अपने नियम पर कायम थी। वैसे इससे कुछ साल पहले भी इस तरह के प्रयास किए गए थे, लेकिन यहीं के कुछ अधिकारियों के अड़ंगा के कारण मामला ठंड बस्ते में चला गया था। इसी बीच प्रो. राकेश भटनागर बीएचयू के नए कुलपति नियुक्त हुए, जिससे इस नेक कार्य का रास्ता साफ हो गया। उनके आने के बाद डा. उपाध्याय ने बात आगे बढ़ाई।