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NKG -7 प्रोटीन के Immune therapy से दे सकते हैं संक्रामक संग गैर-संक्रामक रोगों को भी मात

कालाजार मलेरिया और कैंसर से हर साल भारत में लाखों जानें जाती हैं। मगर अब जरुरत है इसके इलाज का पारंपरिक ढर्रा छोड़ कुछ नए इलाज विधियों को अपनाने का।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 28 Aug 2020 08:17 AM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2020 05:35 PM (IST)
NKG -7 प्रोटीन के Immune therapy से दे सकते हैं संक्रामक संग गैर-संक्रामक रोगों को भी मात
NKG -7 प्रोटीन के Immune therapy से दे सकते हैं संक्रामक संग गैर-संक्रामक रोगों को भी मात

वाराणसी [हिमांशु अस्थाना]। कालाजार, मलेरिया और कैंसर से हर साल भारत में लाखों जानें जाती हैं। मगर अब जरुरत है इसके इलाज का पारंपरिक ढर्रा छोड़ कुछ नए इलाज विधियों को अपनाने का। इसी दिशा में आइएमएस-बीएचयू के प्रो. श्याम सुंदर, डा. राजीव कुमार व उनकी टीम ने क्वींसलैंड इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च (क्तढ्ढरूक्र), ऑस्ट्रेलिया  के साथ अनुसंधान कर बताया है कि मानव के टी-कोशिकाओं और एनके कोशिकाओं (इम्यून सेल)  पर पाये जाने वाले नए प्रकार के प्रोटीन एनकेजी -7 ( नेचुरल किलर सेल ग्रेन्युल प्रोटीन-7) को इम्यून थेरेपी देकर संक्रामक और गैर-संक्रामक रोगों को आसानी से मात दे सकते हैं। यह बड़ी सफलता हासिल करते हुए वैज्ञानिकों ने  एनकेजी-7 की पहचान करते हुए इसकी  भूमिका इन बीमारियों में दर्शाई है। यह शोधकार्य बहुप्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका नेचर इम्यूनोलॉज के 25 अगस्त के अंक में प्रकाशित हुआ है।

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इस अध्ययन में रोगियों के रक्त नमूने और प्रयोगात्मक मॉडल दोनों का उपयोग किया गया और यह पाया गया है कि एनकेजी-7 प्रोटीन को इम्यूनोथेरेपी के लिए लिया जा सकता है। दो दशक से कालाजार पर काम कर रहे प्रो. श्याम सुंदर के अनुसार दवा से इलाज के अलावा यदि रोगी को यह इम्यून थेरेपी दी जाए तो उसमें एंटी पैरासिटिक गुण विकसित होंगे, जो कि कालाजार या दूसरे संक्रामक और गैर-संक्रामक  बीमारी से छुटकारा दिला सकते हैं।

चूहों व मरीजों के रक्त नमूनों पर पर हुआ अध्ययन

शोध के अंतर्गत पीडि़त मरीजों के रक्त नमूनों पर परीक्षण किया गया तो यह पता चला कि कालाजार मरीजों के हेल्पर टी सेल पर मौजूद एनकेजी-7 प्रोटीन की मात्रा  बड़ी हुई होती है। चूहों पर अध्ययन करके पता चला कि यह प्रोटीन हेल्पर टी सेल के द्वारा कालाजार  परजीवी को मारने के लिए जरूरी है। इस शोध में शामिल टीम के सदस्य आइएमएस के डा. राजीव कुमार ने बताया कि कालाजार के उलट प्रयोगात्मक सेरेब्रल मलेरिया  में यह प्रोटीन इम्यून सिस्टम की कार्यविधि तेज (इम्यून इन्फ्लेमेशन) जाती है, जो कि सही नहीं होता है। अत: मलेरिया के मरीज को स्वस्थ रखने में इस प्रोटीन का इम्यून मॉड्यूलेटर ( नियंत्रक) की तरह उपयोग किया जा सकता है।

रोकता है कैंसर कोशिकाओं का संक्रमण

डा. राजीव कुमार ने यह भी बताया कि चूहों पर अध्ययन करके हमारी टीम ने यह दिखाया कि यह प्रोटीन कैंसर सेल को मारने में मदद करता है और कैंसर को फैलने से भी रोकता है । प्रो. श्याम सुंदर ने बताया कि इस प्रोटीन पर भविष्य के अध्ययन और ह्यूमन ट्रायल से संक्रामक और गैर-संक्रामक इन रोगों से पीडि़त लोगों को एक बड़ा लाभ हो सकता है


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