वाराणसी में आइएमए में आज भी लगा है कैप, आइए जमा कर दे गृहकर व लाइसेंस शुल्क
वाराणसी नगर आयुक्त प्रणय सिंह के निर्देश पर आईएमए भवन लहुराबीर में दूसरे दिन सोमवार को भी कैम्प लगा है। 10 अक्टूबर से कैम्प शुरू हुआ है। यह चार दिवसीय कैम्प है। इसमें पहले दिन 1.83 लाख रुपये जमा हुआ।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। नगर आयुक्त प्रणय सिंह के निर्देश पर आईएमए भवन, लहुराबीर में दूसरे दिन सोमवार को भी कैम्प लगा है। 10 अक्टूबर से कैम्प शुरू हुआ है। यह चार दिवसीय कैम्प है। इसमें पहले दिन 1.83 लाख रुपये जमा हुआ, जिसमे अनुज्ञप्ति शुल्क के रूप में कुल 7 चिकित्सा संस्थाओं द्वारा 1.13 लाख तथा गृहकर रु0 66332 रुपये जमा हुआ। इसके पूर्व आज सुबह नगर आयुक्त 0 प्रणय सिंह ने आईएमए का दौरा कर स्थलीय निरीक्षण किया गया एवं आवश्यक निर्देश दिए गए। पहले दिन कैम्प में आईएमए के अध्यक्ष डॉ कार्तिकेय सिंह एवं सचिव डॉ राजेश्वर नारायण सिंह पूरे दिन कैम्प में उपस्थित होकर कैम्प में आने वाले चिकित्सकों एवं उनके प्रतिनिधियों की मदद कर रहे थे, कोई भी समस्या उत्पन्न होने पर इनके द्वारा उपस्थित नगर निगम के अधिकारियों से समस्या का समाधान करा रहे थे।
आईएमए के अध्यक्ष डाक्टर कार्तिकेय सिंह द्वारा बताया गया कि आज पहले दिन की अपेक्षा आगामी तीन दिनों में अधिक की संख्या में चिकित्सा संस्थानों द्वारा अपना अनुज्ञप्ति शुल्क एवं अन्य गृहकर, जलकर, सीवर कर जमा किया जायेगा। 11 अक्टूबर को पुनः 10 बजे कैम्प प्रारम्भ हुआ। नगर आयुक्त प्रणय सिंह ने नगर के चिकित्सकों से अपील की गई है कि आयोजित इस चार दिवसीय कैम्प में एक ही छत के नीचे उपस्थित होकर अपना कर जमा करें।
कैम्प में नगर आयुक्त प्रणय सिंह के अतिरिक्त नगर निगम वाराणसी के अपर नगर आयुक्त दुष्यंत कुमार मौर्य, नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एनपी सिंह, प्रभारी अधिकारी (कर/करेत्तर) पीके द्विवेदी, संयुक्त नगर आयुक्त जगदीश यादव, जोनल अधिकारी आदमपुर, कोतवाली रामेश्वर दयाल, अधिशासी अभियंता अजय कुमार राम, सभी जोनल कर अधीक्षक, कंप्यूटर कोऑर्डिनेटर संदीप श्रीवास्तव व अन्य कर्मचारी उपस्थित थे।
असि नदी की स्वच्छता कामना से परिक्रमा यात्रा
सदियों पहले बंद हो चुकी असि परिक्रमा यात्रा रविवाव को एक बार फिर शुरू हुई। असि-गंगा संगम तट (संत रविदास घाट) पर पूजन-अर्चन के बाद विशिष्ट दल यात्रा पथ को ढूंढते हुए आगे बढ़ा। इसके साथ ही इलाका काशी विश्वनाथ और असि गंगा के जयघोष से गूंज उठा। यात्रा करौदी, आदित्य नगर, चितईपुर, कंदवा होते वापस कंचनपुर, इंद्रानगर, नेवादा, सुंदरपुर, ब्रम्हानंद, रवींद्रपुरी होते असि-संगमेश्वर का दर्शन-पूजन कर असि घाट पर पूरी हुई। नदी कार्यकर्ता कपींद्र तिवारी ने बताया कि यात्रा का उद्देश्य नदी संस्कृति का संरक्षण, प्राचीन यात्राओं का प्रचार-प्रसार और काशी को उसके मौलिक स्वरुप के अनुसार विकसित करना है।